चाइल्ड लाइन ने चलाया रेस्क्यू अभियान, 3 बच्चों को किया परिजनों के हवाले

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिस उम्र में बच्चों के हाथ में किताबें और खिलौने होने चाहिए उस उम्र में उन्हें भिक्षावृत्ति की ओर ढकेलना एक जघन्य अपराध ही नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी एक घृणित कार्य है। बच्चों से उनका बचपन छीनने का हक किसी को नहीं है, उनके माता पिता को भी नहीं। बच्चों से भीख मंगवाने पर जेजे एक्ट के तहत सजा का प्रावधान भी है।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे ने विगत दिनों जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में स्पष्ट कर दिया था बच्चों की मासूमियत से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी कड़ी में चाइल्ड लाइन द्वारा आज विशेष रेस्क्यू अभियान के चलाकर 3 बच्चों को भिक्षावृत्ति से रोककर उनके पालकों तक पहुँचाया गया। इस रेस्क्यू अभियान में चाइल्ड लाइन द्वारा पहले बालकों को अपने संरक्षण में लिया उसके बाद बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किया। बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार बच्चों को उनके परिजनों को सौप दिया गया। बच्चों को सौपने के पश्चात चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वय द्वारा परिजनों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगली बार यदि बच्चे भीख मांगते पाए गए तो परिजनों को जे जे एक्ट के तहत सजा होगी।
इस रेस्क्यू अभियान में पुलिस विभाग का विशेष सहयोग रहा साथ ही स्वयंसेवी कार्यकर्ता कृतिका देवांगन ने भी अपनी सहभागिता निभाई, चाइल्ड लाइन टीम मेम्बर सविता साहू, भारती बिसेन, ललिता मानिकपुरी, राकेश गुप्ता एवं परामर्शदाता आशीष साहू का भी रेस्क्यू अभियान में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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