बिलासपुर, छत्तीसगढ़। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में आयोजित NSS कैंप में कथित रूप से जबरन नमाज़ पढ़वाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यह कैंप 26 मार्च से 1 अप्रैल तक चला, जिसमें कुल 159 छात्र शामिल हुए थे। इनमें से केवल 4 छात्र मुस्लिम समुदाय से थे, जबकि बाकी सभी हिंदू छात्र थे।
छात्रों की लिखित शिकायत के अनुसार, 30 मार्च (ईद के दिन), कैंप कोऑर्डिनेटर ने मंच पर चार मुस्लिम छात्रों को बुलाकर नमाज़ अदा करने की प्रक्रिया दोहरवाई। इसके बाद बाक़ी छात्रों को भी वही प्रक्रिया करने और सीखने के लिए कहा गया।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उस समय सभी छात्रों के मोबाइल फोन जमा कर लिए गए थे, जिससे कोई फोटो या वीडियो सबूत उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कई छात्रों ने इस घटना के खिलाफ मौखिक और लिखित आपत्ति दर्ज की है।
इस मामले में कोनी थाना में शिकायत दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने कहा, “यह पहली बार है जब मैंने किसी NSS कैंप में धार्मिक गतिविधि के आयोजन के बारे में सुना है। यह मामला बेहद गंभीर है। गैर-मुस्लिम छात्रों से नमाज़ पढ़वाना पूरी तरह अनुचित है और इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “BJP सरकार आने के बाद राज्य की कानून व्यवस्था चरमरा गई है।”
एक और विवाद—होली पर खुले में नमाज़, FIR दर्ज
इसी प्रकार की एक और घटना 15 मार्च को सामने आई, जब IIMT विश्वविद्यालय में होली के दिन खुले में नमाज़ अदा करने का एक वीडियो वायरल हुआ। इस मामले में गंगानगर थाना प्रभारी अनुप सिंह ने बताया कि कार्तिक हिंदू की शिकायत पर FIR दर्ज की गई है।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता सुनील शर्मा ने बताया कि आंतरिक जांच से पता चला कि यह घटना और उसका वीडियो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की मंशा से किया गया कृत्य प्रतीत होता है।
दोनों घटनाओं ने राज्य में धार्मिक सहिष्णुता और शिक्षा संस्थानों में धार्मिक गतिविधियों की सीमाओं को लेकर बहस छेड़ दी है। पुलिस जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी, लेकिन फिलहाल इन घटनाओं ने छात्रों और अभिभावकों के बीच चिंता की लहर जरूर पैदा कर दी है।
