नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को हैदराबाद के कांचा गाचिबौली क्षेत्र में बिना अनुमति 100 एकड़ जंगल की कटाई पर कड़ी फटकार लगाई है। यह इलाका हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास स्थित है और राज्य सरकार द्वारा यहां तीन दिनों में, छुट्टियों के दौरान, बगैर आवश्यक मंजूरी के बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और ए.जी. मसीह की पीठ ने इस कार्यवाही को “वन्यजीवों के लिए खतरा” बताते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि “जंगल उजाड़ने के बाद घास खाने वाले जानवर भागकर आश्रय ढूंढ़ रहे हैं और कुत्तों द्वारा काटे जा रहे हैं।”

कोर्ट ने तेलंगाना वाइल्डलाइफ वार्डन को तुरंत कार्यवाही कर जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही चेताया कि यदि अगली सुनवाई (15 मई) तक वन क्षेत्र बहाल करने की ठोस योजना नहीं लाई गई, तो मुख्य सचिव सहित कई अफसरों को जेल भेजा जा सकता है।
जस्टिस गवई ने सख्त लहजे में कहा, “अगर आप वन बहाली में रुकावट डालेंगे, तो अफसरों को अस्थायी जेल भेजा जाएगा। जब तक अगला आदेश न आए, एक भी पेड़ नहीं कटेगा।”
इस विवाद के केंद्र में कांग्रेस सरकार की 400 एकड़ पुनर्विकास योजना है, जिसका छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पेड़ काटने के लिए नियम और पर्यावरण संतुलन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, जिसे तेलंगाना ने नजरअंदाज किया।
