छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में केंद्र सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक जल जीवन मिशन का हाल बेहाल है। भीषण गर्मी में जब लोगों को पानी की सबसे अधिक जरूरत है, तब जिले के 562 गांव आज भी अधूरे काम की मार झेल रहे हैं। जिले के कुल 660 गांवों में से केवल 98 गांवों में ही योजना का काम पूरा हो पाया है, शेष गांवों में कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।
2600 करोड़ की स्वीकृति, फिर भी प्यासा गांव
जल जीवन मिशन के तहत राजनांदगांव को लगभग 2600 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है, जिसका उद्देश्य था हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना। लेकिन पीएचई विभाग की लापरवाही ने इस महत्वाकांक्षी योजना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीणों को भारी पड़ रही विभागीय अनदेखी
कई गांवों में टंकी तो बन चुकी है, लेकिन पाइपलाइन बिछाई ही नहीं गई। कहीं पाइपलाइन है, पर टंकी अधूरी पड़ी है। और जहां दोनों कार्य पूरे हैं, वहां टंकी में पानी चढ़ ही नहीं पा रहा है, या टंकियां लीकेज हो चुकी हैं। नतीजा—गांव आज भी प्यासा है।
गर्मी में हाल बेहाल, शुद्ध जल का संकट
भीषण गर्मी के इस मौसम में गांव-गांव जल संकट गहराता जा रहा है। केंद्र की योजना थी कि हर घर नल से जल पहुंचे, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि आज भी लोग कुएं और हैंडपंप पर निर्भर हैं।
प्रशासनिक लापरवाही या सिस्टम फेल?
जल जीवन मिशन को लेकर जिस लापरवाही का आलम है, वह इस बात की तरफ इशारा करता है कि या तो प्रशासन की निगरानी कमजोर है, या कार्यदायी एजेंसियों की जवाबदेही तय नहीं की गई है।
अब सवाल यह है — क्या 2600 करोड़ की लागत वाली यह योजना सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगी?
