क्या सोशल मीडिया पर आज़ादी की सीमा तय होगी? सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सख्त कदम!

सोमवार, 5 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की उपस्थिति मांगी है। इस सूची में लोकप्रिय शो “India’s Got Latent” के होस्ट समय रैना भी शामिल हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन इन्फ्लुएंसर्स ने शो में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लोगों का मज़ाक उड़ाया था।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मुंबई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह इन सभी इन्फ्लुएंसर्स को नोटिस देकर कोर्ट में पेश करें। यदि वे पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।

यह याचिका ‘क्योर SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ नामक एनजीओ द्वारा दायर की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई कि विकलांग और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों को लेकर सोशल मीडिया कंटेंट पर नियमन किया जाए।

कोर्ट ने इन इन्फ्लुएंसर्स की हरकत को “गंभीर रूप से हानिकारक और हतोत्साहित करने वाला” बताया और कहा कि ऐसे मामलों में सख्त दंडात्मक और सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

पीठ ने कहा, “यह बहुत ही नुकसानदायक है। कानून ने वर्षों की मेहनत से इन लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है, लेकिन एक वीडियो सब कुछ नष्ट कर देता है।” कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक पूर्ण अधिकार नहीं है, और किसी को भी उसके नाम पर किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने की छूट नहीं दी जा सकती।

एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि वर्तमान कानूनों में कई कमियाँ हैं और कोर्ट से अपील की कि वह सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर दिशा-निर्देश बनाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से इस मामले में सहायता मांगी है ताकि दुर्लभ बीमारियों और दिव्यांगता से जुड़े ऑनलाइन कंटेंट के लिए कोई ठोस कानूनी व्यवस्था बनाई जा सके।

अब सवाल उठ रहा है — क्या सोशल मीडिया पर अब संवेदनशीलता की नई लक्ष्मण रेखा खिंचेगी?

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