झोपड़ी से पक्के घर तक का सफर: झरना की आंखों में भरोसे की नमी या खुशी का तूफान?

दुर्ग, 05 मई 2025/“अब मेरा भी एक दिन पक्का घर होगा”, यह शब्द थे श्रीमती झरना के, जब उन्हें पता चला कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके नाम घर की स्वीकृति मिल गई है और पहली किस्त की राशि खाते में आ चुकी है। एक पल के लिए वे कुछ बोल नहीं सकीं, सिर्फ भावुक हो उठीं।

ग्राम अण्डा, जिला दुर्ग की रहने वाली झरना पिछले कई वर्षों से मिट्टी की झोपड़ी में अपने परिवार के साथ किसी तरह जीवन यापन कर रही थीं। बरसात में टपकती छत और गिरती दीवारें उनका सच थीं। आर्थिक हालात इतने कमजोर थे कि घर बनाने का सपना भी सिर्फ सपना ही रह गया था। उन्होंने कई बार प्रयास किए लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

परंतु इस बार सुशासन तिहार 2025 के प्रथम चरण में जब उन्होंने आवेदन किया, तो गांव के सचिव और सरपंच ने न सिर्फ उन्हें सहयोग किया बल्कि बार-बार भरोसा भी दिलाया कि सरकार इस बार गरीबों की वाकई सुन रही है। और अब जब पहली किस्त आई है, तो झरना की आंखों में सिर्फ आंसू नहीं थे — वो आंसू उम्मीद और विश्वास से भरे थे।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्राम अण्डा की अन्य महिलाओंश्रीमती अमरीका बाई, श्रीमती देवकी जोशी, और श्रीमती बुधियारिन को भी आवास स्वीकृति प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। जैसे ही उन्हें यह प्रमाण पत्र मिला, गांव की महिलाओं के बीच खुशियों की लहर दौड़ गई

उन्होंने कहा, “आज पहली बार महसूस हुआ कि सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं हैं। अब हम भी ईंट, गारे और सीमेंट से अपने सपनों का घर बनते देखेंगे।”

ग्राम की अन्य महिलाएं जो इस बार चयनित नहीं हो पाईं, उन्होंने भी कहा कि अब भरोसा है कि अगली बार उनका भी नंबर जरूर आएगा, क्योंकि सरकार ने भरोसे को हकीकत में बदलकर दिखाया है।

यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि गरीबी से सम्मान तक की यात्रा का आरंभ है — और इन महिलाओं की कहानियां छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाओं की ज़मीनी सफलता की गवाही दे रही हैं।

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