जमीन डायवर्शन के नाम पर ली रिश्वत, आरोपी संयुक्त संचालक के खिलाफ 8 साल बाद कोर्ट में चालान पेश

जमीन के डायवर्शन के लिए रिश्वत लेने के नगर एवं ग्राम निवेश के आरोपी संयुक्त संचालक के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है। आरोपी के आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की गिरफ्त में आने के लगभग 8 साल बाद यह चालान पेश किया जा सका है। एसीबी के विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू की कोर्ट में प्रस्तुत इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक जाहिदा परवीन पैरवी करेंगी। चालान भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(1)(डी), 13 (2) के तहत पेश किया गया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला वर्ष 2011 का है। ईओडब्लू की टीम ने दबिश देकर नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक महेन्द्र कुमार गुप्ता को रिश्वत लेते 28 सिंतबर 2011 को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। आरोपी के कब्जें से रिश्वत में ली गई 20 हजार रु. की रकम भी बरामद की गई थी। इस मामले की शिकायत सिंधी कालोनी निवासी मुकेश केसवानी ने ईओडब्लू से की थी। जिसके आधार पर टीम ने दबिश दी थी। नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक महेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा मुकेश से उसकी ग्राम समोदा-कोनारी स्थित जमीन को पोल्ट्री फार्म में उपयोग के लिए डायवर्शन किए जाने के लिए 60 हजार रु. की मांग की थी। जिसके बाद सौदा 40 हजार रु. में तय हुआ था। इस सौदे की शिकायत मुकेश ने ईओडब्लू में कर दी थी। शिकायत के आधार पर 20 हजार रु. की पहली किश्त दिए जाने के दौरान यह कार्रवाई की गई। इस मामले की जांच वर्ष 2016 में प्रारंभ हुई और इसके बाद मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(1)(डी) तथा 13(2) के तहत प्रकरण के चालान को प्रस्तुत किया गया। प्रकरण पर अगली सुनवाई तिथि 13 मार्च निर्धारित की गई है।