13 साल की मासूम बच्ची के साथ मारपीट और सिर मुड़वाने का मामला उजागर हुआ है। मासूम से पिछले चार साल से घर और बेकरी में जबरिया काम कराया जा रहा था और पहचान व उम्र छुपाने के लिए उसके बाल काट दिए गए थे। परेशान बच्चीं के घर से भागने और आरपीएफ को मिलने के बाद इस हैवानियत का खुलासा हुआ। इसके बावजूद जिम्मेदारों द्वारा जिम्मेदार के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई अब तक नहीं की गई है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़) रीतेश तिवारी। दुर्ग के तकियापरा में वीना बेकरी में पिछले चार साल से एक 13 वर्षीय बच्ची से जबरन काम कराया जा रहा था। दुकान के काम के बाद बेकरी मालिक के घर पर भी मासूम से सारे काम कराये जा रहे थे। बच्ची की पहचान छुपाने के लिए उसके साथ जो शर्मनाक करतूत की गई उसे जान कर आप भी दंग रह जाएंगे। बच्ची के सिर के बाल तक मुड़वा दिए गए थे। रोज रोज के मारपीट से तंग आ कर मासूम बड़ी मुश्किल से घर से भाग कर रेलवे स्टेशन पहुची जहां दुर्ग आरपीएफ की नजर उस पर पड़ी और उसके बाद प्राथमिक पूछताछ के बाद आरपीएफ ने बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौप दिया । पीड़ित बच्ची को चाइल्ड लाइन ने बच्चो की सबसे महत्वपूर्ण संस्था सीडब्लूसी दुर्ग के समक्ष पेश किया । प्रारंभिक पड़ताल के बाद मासूम बच्ची को बालिका गृह रजनंदगाव भेज दिया गया है।
पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति किए जाने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। बेकरी मालिक पर अब तक किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नही की गई ।
जहां सरकार देश भर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाते नजर आ रही है तो वही हजारों की तादात में मासूम बेटियों को जबरन बाल श्रमिक बनाया जा रहा है और साथ ही शर्मनाक करतूत भी उजागर हो रही है। कहने को जिले में नाबालिकों को लेकर दर्जनों नियम कायदे और कई जिम्मेदार सरकारी अफसर तैनात है लेकिन ऐसी तस्वीर जब उजागर होती है तो सारे दावे कांच की तरह बिखरे दिखाई देने लगते है। महिला बाल विकास, सीडब्लूसी, श्रम विभाग, जुनाइल पुलिस के साथ साथ लोकल पुलिस अगर संवेदनशील होती तो पिछले चार साल से एक मासूम बच्ची खौफनाक दर्द नही झेलती।