व्यापारी द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजे गए केसर की डिलीवरी नहीं होने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आदेश पारित किया गया है। फोरम ने इसके लिए डाक विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार मानते हुए प्रेषक को हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया है। उपभोक्ता फोरम द्वारा यह आदेश मुख्य डाकपाल राजनांदगांव, स्पीड पोस्ट प्रभारी रायपुर एवं प्रवर अधीक्षक डाक विभाग सिविक सेंटर भिलाई के खिलाफ पारित किया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला राजनांदगांव के कारोबारी लूणकरण सिंघवी से संबंधित है। लूणकरण द्वारा राजनांदगांव पोस्ट आफिस से 31 अगस्त 2017 को स्पीट पोस्ट के माध्यम से केसर भेजा गया था। इस स्पीट पोस्ट की डिलीवरी महाराष्ट्र के मालेगांव स्थित मुथा एंड कंपनी को होनी थी। लंबे समय तक डिलीवरी नहीं होने पर पतासाजी में जानकारी मिली कि स्पीड पोस्ट से भेजा गया पार्सल गुम हो गया है। शिकायत किए जाने के बाद भी डाक विभाग द्वारा समस्या का निराकरण नहीं किए जाने पर प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पेश किया गया था।
प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम ने पाया कि परिवादी यह सिद्ध करने में असफल रहा कि स्पीड पोस्ट से केसर भेजा गया था, लेकिन इस स्पीड पोस्ट के गुम होने को सेवा में कमी की श्रेणी में माना। फोरम ने डाक विभाग के खिलाफ आदेश पारित करते हुए एक माह की अवधि में स्पीड पोस्ट के लिए वसूले गए शुल्क 142 रु. के साथ इससे हुए मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए 2000 रु. तथा वाद व्यय की राशि 1000 रु. का भुगतान करने का निर्देश डाक विभाग को दिया है।