दुर्ग, छत्तीसगढ़: दुर्ग जिले में एक मासूम बच्ची के साथ हुई हैवानियत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। बच्ची की दर्दनाक मौत के बाद जनता में गहरा आक्रोश है। नागरिकों ने दरिंदों को सरेआम फांसी देने की मांग की है। सोशल मीडिया पर “दुर्गा को न्याय दो” अभियान चलाया जा रहा है। लोग स्कूल-कॉलेज बंद कर, काली पट्टी बांधकर और मोमबत्तियां जलाकर विरोध जता रहे हैं। अब जनता कानून में बदलाव की मांग कर रही है ताकि ऐसे मामलों में तुरंत सज़ा मिले और कोई और बेटी दरिंदों की शिकार न हो।
भावनाओं से भरा आह्वान
एक भावुक नागरिक प्रशांत गुप्ता ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“आपकी बेटी है… मेरी बेटी है… हम सबकी बेटी है…
बेटी को चोट लगती है तो आंख भर आती है, बुखार में रात भर जागते हैं, पर सोचिए उस बाप के बारे में जिसकी बेटी अब गोद में लाश बनकर पड़ी है। वो ‘दुर्गा’ जो बार-बार चीखती रही होगी, संघर्ष करती रही होगी… और अंत में थककर चुप हो गई होगी…”

प्रशांत ने यह भी लिखा कि अब समय आ गया है जब कानून में बदलाव हो, ताकि ऐसे दरिंदों को कोर्ट-कचहरी की प्रक्रिया नहीं बल्कि सीधे सरेआम मौत की सज़ा मिले। वह मांग करते हैं कि जब सबूत साफ़ हो, गुनहगार पकड़ा गया हो, तो ऐसी हैवानियत के लिए फास्ट ट्रैक जस्टिस हो और दरिंदे को चौराहे पर फांसी या गोली मारी जाए।
जनता में आक्रोश
लोग मांग कर रहे हैं कि एक दिन के लिए
- स्कूल-कॉलेज बंद किए जाएं,
- बाजार और संस्थान शांति से बंद रखे जाएं,
- काली पट्टियाँ बांध कर विरोध जताया जाए,
- मोमबत्तियां जलाकर “दुर्गा” को श्रद्धांजलि दी जाए
ताकि इस जनक्रांति की आवाज़ दिल्ली तक पहुंचे और कानून में वह बदलाव आए जो बेटियों को दरिंदों से सच में बचा सके।
एक पिता की गुहार
“मैं एक बेटी का पिता हूं… मेरी आप सबसे अपील है कि ‘दुर्गा’ को इंसाफ़ दिलाने के लिए आवाज़ उठाइए… वरना कल को किसी और की ‘दुर्गा’ को ये दरिंदे नोंच डालेंगे…”
