जैविक पिता ने की मासूम बेटियों के साथ हैवानियत, मिला जीवन भर का कारावास

अपनी सगी मासूम बेटियों से हैवानियत करने वाले पिता को अदालत द्वारा जीवन भर जेल की कोठरी में कैद रखे जाने का फैसला सुनाया है। आरोपी पिता लगभग 5 साल से नाबालिग बहनों के साथ जबरिया शारीरिक संबध बना रहा था। यह फैसला विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में शनिवार को सुनाया गया है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी। अदालत ने महज 6 माह की अवधि में विचारण पश्चात यह फैसला सुनाया है। आरोपी के खिलाफ पीडि़त दोनों बेटियों ने पुलिस में अलग अलग शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें से एक मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला पुलगांव थाना क्षेत्र का है। पीडि़त किशोरी (17 वर्ष)ने पिछली 30 जून को पुलिस में अपने पिता के खिलाफ यह शिकायत दर्ज कराई थी। पीडि़ता ने पुलिस को बताया था कि उसका पिता (41 वर्ष) पिछले पांच साल से उसके साथ डरा धमका कर शारीरिक संबंध बना रहा है। पिता ने संबंध बनाने की शुरुआत वर्ष 2014 में की थी। इस समय पीडि़ता की उम्र 11 वर्ष की थी। उम्र कम होने के कारण उसे अपने साथ हुए कृत्य के संबंध में अधिक जानकारी नहीं होने से वह चुप रही। उसने इस संबंध में किसी को जानकारी नहीं दी। जिससे पिता का हौसला बढ़ गया और वह आए दिन डरा धमका कर लगातार शारीरिक संबध बनाने लगा था।
छोटी बहन से मिला हौसला
पिता द्वारा किए जा रहे इस कृत्य की जानकारी पीडि़ता ने अपनी मां को दी थी। मां ने आरोपी को समझाने का प्रयास किया, लेकिन समझाईश का असर भी नहीं हुआ और हैवानिय का सिलसिला जारी रहा। इसी दरम्यान पिता ने पीडि़ता की छोटी बहन से भी जबरिया शारीरिक संबंध बनाना प्रारंभ कर दिया था। जिससे परेशान छोटी बहन (16 वर्ष) ने पिता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिससे हौसला मिलने पर पीडिता ने भी पुुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
5 साल पहले ही घर लौटा था आरोपी
पीडि़ता तीन बहनें और एक भाई है। पीडि़ता की मां के आरोपी से विवाह के बाद चार बच्चें हुए थे। जिसके बाद आरोपी अपने परिवार को बेसहारा छोड़ कर भाग गया था। पति के जाने के बाद मां, बच्चों के लालन पालन के लिए मायके आ गई थी। मजदूरी कर लालन पालन किया। बड़ा बेटा अन्य प्रदेश में काम के लिए चला गया। वहीं बड़ी बहन की शादी हो गई। इसी दरम्यान आरोपी लगभग 5 वर्ष पूर्व आरोपी लौट कर परिवार के साथ रहने लगा। जिसके बाद दोनों मासूम बहनों के साथ इस घिनौने कृत्य को अंजाम देने लगा था।
अदालत ने दी दोहरे अजीवन कारावास की सजा
प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश ने कहा कि संरक्षक व सगा पिता होने के बावजूद अभियुक्त द्वारा किए गए कृत्य को देखते हुए उदारता बरतना उचित नहीं है। उन्होंने अभियुक्त को दफा 376 (क) (ख), के तहत जीवन भर के कारावास तथा 10 हजार रु. अर्थदंड तथा 376 (2) के तहत जीवन भर की कैद और 10 हजार रु. अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा दफा 506 (1) के तहत 6 माह व 100 रु. के अर्थदंड़ से दंडि़त किया गया है। सभी सजाएं एक साथ चलेगी। इसके साथ ही पीडि़ता को उसकी मां के माध्यम से 1 लाख रु. अंतरिम प्रतिकर राशि तत्काव प्रदान किए जाने का आदेश दिया है।

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