ड्राइवर का वैध लायसेंस न होने का हवाला देकर किया बीमा क्लेम खारिज, फोरम ने हर्जाना सहित भुगतान करने का दिया निर्देश

ट्रक की चोरी के मामले में बीमा दावा भुगतान को निरस्त किए जाने के मामले में उपभोक्ता फोरम द्वारा बीमा कंपनी के खिलाफ आदेश पारित किया गया है। फोरम ने ट्रक ड्राइवर के पास लायसेंस न होने का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर दिया था। उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी के इस कृत्य को सेवा में कमी तथा व्यवसायिक ुदराचरण का मानते हुए एक माह की अवधि में ट्रक की बीमित राशि 17 लाख 50 हजार रु. के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति के रुप में 50 हजार रु. का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की भिलाई शाखा से संबंधित है। ट्रक क्रं. सीजी 07-सीए-7253 के माध्यम से ट्रक मालकिन गुरमीत कौर ने कोयला जलगांव (महाराष्ट्र) के पहुर के लिए भेजा गया था। गुरमीत कौर ने ट्रक के नियमित ड्रायवर के छुट्टी पर होने के कारण माल की डिलवरी नवंबर 2016 में ड्राइवर सुरेन्द्र कुमार पाठक के माध्यम से की गई थी। लेकिन ट्रक और ड्राइवर दोनों लापता हो गए थे। जिसके बाद पुलिस में ट्रक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई थी। ट्रक के संबंध में पुलिस को किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिलने पर गुरमीत ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की भिलाई स्थित शाखा के समक्ष दावा पेश किया था। लंबें समय तक बीमा कंपनी विभिन्न दस्तावेजों की मांग कर गुरमीत को ऑफिस का चक्कर लगवाती रही। जिसके बाद ड्राइवर के पास बैध लायसेंस न होने का हवाला देते हुए बीमा भुगतान दावा को निरस्त कर दिया गया। बीमा कंपनी द्वारा दावा को खारिज किए जाने के बाद प्रकरण को जिला उपभोक्तो फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी के इस कृत्य को सेवा में कमी तथा व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में माना। फोरम ने विचारण में पाया कि ड्राइवर के लायसेंस की वैधता पर सवाल वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर खड़ा होता है। इस प्रकरण में वाहन किसी दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ है, वरन चोरी हुआ है। जिसके मद्देनजर ड्राइविंग लायसेंस के वैध न होने के आधार पर बामा भुगतान दावा को निरस्त किया जाना अनुचित है।
फोरम ने एक माह की अवधि में बीमित ट्रक की राशि 17 लाख 50 हजार रु. अदा करने का आदेश बीमा कंपनी को दिया है। इसके साथ ही इससे बीमा धारक को हुई मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए 50 हजार रु. व वाद व्यय की राशि 2 हजार रु. का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।

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