युवती के अनाचार में मामा बना सहभागी, दो आरोपियों को अदालत ने दी अजीवन कारावास की सजा

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शादी कार्यक्रम में शामिल होने गई युवती के साथ अनाचार के मामले में अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है। मामले में दो आरोपियों को अदालत ने अजीवन कारावास व 6-6 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है। इनमें से एक आरोपी पीड़िता का मामा है, जिसके सहयोग से युवती इस घटना की शिकार हुई थी। यह फैसला विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में आज शुक्रवार को सुनाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी। प्रकरण की पीड़िता को प्रतिकर राशि के रुप में 4 लाख रुपए की राशि प्रदान किए जाने का भी आदेश अदालत ने दिया है।

मामला पुलगांव थाना क्षेत्र का है। पीड़ित युवती अपने परिवार के सदस्यों के साथ रिश्तेदारी में अपने भाई के शादी कार्यक्रम में 20 अप्रैल 2018 को शामिल होने गई थी। कार्यक्रम बाद जब वह अन्य लड़कियों के साथ वापस लौटने वाहन का इंतजार कर रही थी, तभी उसका मामा भुनेश्वर निषाद पहुंचा और दूसरी गाड़ी में साथ चलने बात कहीं। मामा की बात पर विश्वास कर युवती रुक गई। कुछ देर बाद आरोपी त्रिलोचन जंघेल उर्फ टिल्लू (32 वर्ष) स्कार्पियो क्र. सीजी 08 के 2125 से मौके पर पहुंचा। जिस पर युवती अपने मामा भुनेश्वर के साथ सवार हो गई। दोनों ने रास्ते में उसे आमरस व आइसक्रीम खिलाई, जिसको खाने के बाद उसे चक्कर आने लगा। आरोपी
युवती को लेकर नगपुरा मार्ग पर पहुंचे और सुनसान इलाके में स्कार्पियो के अंदर ही टिल्लू डरा धमकाकर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने लगा। इस दौरान युवती का मामा भुनेश्वर गाड़ी के बाहर खड़ा हो कर देख रहा था। टिल्लू के गाड़ी से बाहर निकलने पर भुनेश्वर ने गाड़ी के अंदर घुसने का प्रयास किया तो पीडिता उसे धक्का देकर भाग निकली। किसी तरह कपड़े पहन कर देर रात दुर्ग थाना पहुंची और मामले शिकायत दर्ज कराई। युवती की शिकायत के आधार पर दुर्ग थाना में पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण घटना स्थल से संबंधित थाना पुलगांव पुलिस को प्रकरण स्थानांतरित कर दिया था। विवेचना पश्चात प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
बालिग निकली पीड़िता
प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में किया गया। पुलिस में दर्ज शिकायत में पीड़िता ने स्वंय को नाबालिग बताया था, लेकिन विचारण के दौरान प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर पीड़िता की उम्र 20 वर्ष सिद्ध हुई। इसलिए आरोपियों को पॉस्को एक्ट के तहत दोषी करार नहीं दिया गया। इसके अलावा युवती से गाली-गलौज करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी अदालत के समक्ष सिद्ध नहीं हो पाया। जिस पर आरोपियों को दफा 294 व 506 के आरोपों से भी दोषमुक्त कर दिया गया।
अनाचार व सहयोग के आरोप किया दंडित
अदालत ने विचारण पश्चात आरोपी त्रिलोचन जंघेल उर्फ टिल्लू को युवती के साथ उसकी इच्छा के विरूद्ध शारीरिक संबंध बनाने तथा इस कृत्य में सहयोग देने के आरोप में मामा भुनेश्वर निषाद को दोषी करार दिया। अदालत ने अभियुक्त त्रिलोचन जंघेल उर्फ टिल्लू (32 वर्ष) को दफा 366 के तहत 7 वर्ष व 3000 हजार रुपए अर्थदण्ड तथा दफा 376 के तहत अजीवन कारावास व 3000 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित करने का फैसला सुनाया है। वहीं पीड़ित के मामा भुवनेश्वर निषाद (40 वर्ष) को दफा 366 के तहत 7 वर्ष व दफा 376/109 के तहत अजीवन कारावास तथा कुल 6 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।