ट्विन सिटी के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड की जिला न्यायालय में जारी सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने आरोपियों पर पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों पर सवालियां निशान लगाए है। अंतिम बहस में बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीपी सिंह तथा उमाभारती ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि मात्र मेमोरेंडम के आघार पर इन्हें आरोपी बनाया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि जिस स्थान चौहान टाउन में पुलिस अभिषेक की हत्या होने का हवाला दे रही है, उसी स्थान के एक भी गवाह, सीसी टीवी फुटेज या अन्य साक्ष्य को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। बचाव पक्ष द्वारा दिए गए तर्को पर अभियोजन पक्ष के जवाब के लिए सुनवाई तिथि 16 दिसंबर तय की गई है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शंकरा एज्युकेशन सोसायटी के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या के प्रकरण पर विचारण जिला सत्र न्यायाधीश जी.के. मिश्रा की अदालत में जारी है। शनिवार को प्रकरण पर जारी अंतिम बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीपी सिंह ने आरोपी विकास जैन व अधिवक्ता उमा भारती ने आरोपी किम्सी कंबोज जैन की और से तर्क प्रस्तुत किए। बचाव पक्ष ने दलील दी कि पुलगांव पुलिस ने आरोपी विकास जैन व अजीत सिंह का मेमोरेंडम बयान 23 दिसंबर 2015 की सबेरे लगभग 5 बजे लिया गया था। इस समय तक दोनों की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा नहीं की गई थी। वहीं दोनों किसी अन्य मामले के आरोपी नहीं है और न ही उनका कोई क्रिमिनल रिकार्ड है। इस आधार पर गिरफ्तारी पूर्व अभियुक्तों का मेमोरेंडम औचित्यहीन है। बचाव पक्ष ने यह भी दलील दी कि महज इसी मेमोरेंडम के आधार पर उन्हें अभियुक्त बनाया गया है। जबकि पुलिस के पास कोई ठोस आधार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विकास व अजीत के मेमोरेंडम के आधार पर ही किम्सी को अभियुक्त बनाया गया, जबकि किम्सी की घटना दिन को मृतक अभिषेक से बातचीत के अलावा कोई साक्ष्य नहीं है। अधिवक्ताओं ने जिस स्थान से अभिषेक का शव खोद कर निकाला गया, उस स्मृति नगर के उस मकान में आरोपी अजीत सिंह का निवास होने को भी गलत बताया। उन्होंने नायाब तहसीलदार के निर्देश पर शव उत्खखन किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस प्रकार की वारदातों में मात्र डिस्ट्रीक मजिस्टे्रट या एसडीएम के निर्देश पर ही उत्खखन किया जा सकता है। बचाव पक्ष ने जिस मोबाइल नबंर से अभिषेक के पिता आईपी मिश्रा को फिरौति के लिए कॉल आया था, उस मोबाइल नबंर धारक को प्रकरण में आरोपी अथवा साक्षी नहीं बनाए जाने पर भी सवाल उठाए।
जगह की निशानदेही किसने की स्पष्ट नहीं
बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीपी सिंह ने तर्क दिया कि जिस स्थान को खोदकर शव बरामद किया गया था, उसकी निशानदेेही किसने की यह स्पष्ट नहीं है। खुदाई को दौरान की गई फोटोग्राफी जिस शख्स द्वारा एक स्थान विशेष की ओर ईशारा किया जा रहा है, यह शख्स कौन है के संबंध में पुलिस जांच अधिकारी भी बता पाने में असफल रहे है। शख्स बापर्दा है, जिससे यह नहीं कहा जा सकता की वह विकास या अजीत ही था।
आरोपियों की शिनाख्ती भी संदिग्ध
बचाव पक्ष ने यह भी दलील दी कि जिन व्यक्तियों द्वारा मकान में गढ्डा खोदने व भरने जाने की बात पुलिस कर रही है, उन्होंने न्यायालय के समक्ष 164 के तहत दर्ज कराए बयान में यह कार्य किसने कराया के नाम का कहीं भी उल्लेख नहीं है। इसके अलावा जेल में कराई गई शिनाख्त को महज खानापूर्ति बताया गया।
टावर लोकेशन पर उठाए सवाल
बचाव पक्ष ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा मृतक और आरोपियों के टावर लोकेशन एक साथ मिलने को इस प्रकरण में आधार बनाया गया है। जबकि घटना दिनांक 9 नवंबर 2015 से पहले 6 व 7 नवंबर को भी उनके मोबाइल टावर के लोकेशन एक ही थे। इसका कारण अभिषेक के अलावा किम्सी व विकास का कार्य क्षेत्र जुनवानी क्षेत्र में ही होना है। उन्होंने कहा कि मृतक व आरोपियों में क्या बातें हुए इसका कोई भी रिकार्ड पुलिस के पास नहीं है। मात्र लोकेशन के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।