अदालत में लंबित चेक बाउंस के प्रकरण में बचाव के लिए कूटरचना कर दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने का दोषी एक कारोबारी को पाया गया है। आरोपी के खिलाफ चेक बाउंस के प्रकरण को अदालत में दाखिल करने वाले परिवादी ने ही कूट रचना कर अदालत में दस्तावेज प्रस्तुत करने का आरोप लगाते हुए परिवाद दाखिल किया था। जिस पर विचारण पश्चात न्यायाधीश मयूरा गुप्ता ने कूट रचना करने का दोषी मानते हुए कारोबारी को 3 वर्ष के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नेहरु नगर निवासी भगवान दास (62 वर्ष) ब्याज पर रकम देने का कारोबार करता है। भगवान दास से मून लाइट ऐजेंसी के संचालक दुर्ग के सिंधी कालोनी निवासी आसनदास मोहनानी ने किस्तों में 1 लाख 60 हजार रु. की रकम उधारी ली थी। इसके एवज में सुरक्षा निधि के रुप में आसनदास द्वारा 10 हजार व 60 हजार रु. के नागरिक सहकारी बैंक दो चेक भगवान दास को दिए थे। चेक को बैंक में जमा कराए जाने पर 24 अगस्त 2015 को पर्याप्त राशि के आभाव में चेक बाउंस हो गया था। जिस पर प्रकरण को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण पर विचारण के दौरान आरोपी आसनदास ने भगवान दास को दिए गए चेक की खांउटर स्लिप अपने बचाव में अदालत के समक्ष पेश की गई थी। जिसमें भगवान दास के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया था। इस हस्ताक्षर के फर्जी होने का दावा करते हुए भगवान दास ने अदालत में परिवाद दाखिल किया था। इस परिवाद पर विचारण पश्चात न्यायाधीश मयूरा गुप्ता ने आसनदास मोहनानी को कूट रचना का दोषी पाया। मामले में आसनदास को दफा 420, 464, 468 केतहत 3-3 वर्ष तथा दफा 471 के तहत 2 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है।