फॉलोअर्स घटे… और टूट गई एक ज़िंदगी: सोशल मीडिया की आभासी दुनिया ने छीनी मिषा अग्रवाल की हकीकत

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय कंटेंट क्रिएटर मिषा अग्रवाल की आत्महत्या ने देशभर के युवाओं और उनके फॉलोअर्स को गहरे सदमे में डाल दिया है। 24 अप्रैल को, अपनी 25वीं जन्मदिन से कुछ दिन पहले, मिषा ने यह कठोर कदम उठाया। पहले तो परिवार ने उनकी मृत्यु की खबर इंस्टाग्राम के ज़रिए साझा की लेकिन कारण सामने नहीं आया। अब, मिषा की बड़ी बहन मुक्ता अग्रवाल ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट में इस दुखद घटना के पीछे की असल वजह उजागर की है।

मुक्ता ने बताया कि मिषा बीते कई महीनों से गहरे डिप्रेशन में थीं। उनका पूरा ध्यान इंस्टाग्राम फॉलोअर्स पर था। उन्होंने लिखा,

“मेरी छोटी बहन की पूरी दुनिया इंस्टाग्राम और उसके फॉलोअर्स के इर्द-गिर्द घूमती थी। उसका सपना था कि वह 1 मिलियन फॉलोअर्स हासिल करे। लेकिन जब फॉलोअर्स घटने लगे, तो वह बिखर गई… वह खुद को बेकार समझने लगी। अप्रैल से वह लगातार रोती थी और मुझसे कहती थी – ‘जिज्जा, अगर फॉलोअर्स कम हो गए तो मेरा करियर खत्म हो जाएगा।'”

मिषा की बहन ने यह भी बताया कि उनके फोन का वॉलपेपर ही इंस्टाग्राम और यूट्यूब के फॉलोअर्स की संख्या थी।

“उसका फोन वॉलपेपर ही उसकी ज़िंदगी की कहानी कहता है। वह बस फॉलोअर्स चाहती थी। लेकिन यह प्यार असली नहीं था। सोशल मीडिया एक नकली दुनिया है।”

मुक्ता ने कई बार मिषा को समझाया कि कंटेंट क्रिएशन सिर्फ एक साइड जॉब है। मिषा के पास LLB डिग्री थी और वह पीसीएस-जे (न्यायिक सेवा परीक्षा) की तैयारी भी कर रही थीं।

“मैंने उसे हमेशा उसकी काबिलियत की याद दिलाई, कहा कि तू एक दिन जज बनेगी। लेकिन उसने इन बातों को नजरअंदाज कर दिया।”

परिवार ने मिषा को खुश रहने और सोशल मीडिया के दबाव से बाहर निकलने की सलाह दी, लेकिन वह मानसिक दबाव और आभासी दुनिया की उम्मीदों में उलझकर अपनी ज़िंदगी से हार गईं।

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर से सोशल मीडिया के मानसिक प्रभाव और युवा पीढ़ी पर उसके नकारात्मक असर पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मिषा की मौत ने उस खतरनाक सच को उजागर कर दिया है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है – फॉलोअर्स की संख्या कभी आत्म-मूल्य का मापदंड नहीं हो सकती।

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