कुटुंब न्यायालय के विस्थापन के विरोध में कामबंद हड़ताल करने वाले अधिवक्ताओं ने हाइकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत कर माफी मांग ली है। जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले चली इस हड़ताल के कारण लगभग एक सप्ताह तक न्यायालयीन कार्य प्रभावित हुआ था। भविष्य में इस प्रकार की स्थिति निर्मित न हो, इसके लिए हाइकोर्ट ने न्यायालयीन कार्य के गाइन लाइन बनाए जाने का निर्णय लेते हुए इस मामले की सुनवाई को जारी रखा है। मामले पर अगली सुनवाई दो माह बाद की जाएगी।
रायपुर (छत्तीसगढ़)। डबल बेंच में मंगलवार को इस प्रकरण की सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा और दुर्ग बार एसोसियेशन की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे कोर्ट में उपस्थित हुए। दुर्ग जिला अधिवक्ता संघ पदाधिकारियों ने शपथ-पत्र देकर कहा कि कुछ अधिवताओं ने आंदोलन के दौरान कुछ ऐसी भाषा का प्रयोग किया जो अविवेकपूर्ण और अतिरेकपूर्ण थे। इसके लिए दुर्ग बार एसोसिएशन क्षमा मांगता है साथ ही वचन देता है कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
उच्च न्यायालय ने शपथ-पत्र के आधार पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि बार व बेंच एक रथ के दो पहिये हैं। इस प्रकार की घटना का समाज में दुष्प्रभाव पड़ता है। हम इस उम्मीद पर आगे कार्रवाई पर विराम लगाते हैं कि ऐसी घटना फिर नहीं दोहराई जायेगी। हालांकि कोर्ट ने इस मामले के संदर्भ में आगे सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है। इसकी सुनवाई दो माह बाद होगी, जिसमें बार व बेंच के बीच सामंजस्य के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप गाइड लाइन तय किया जायेगा। इस गाइड लाइन को पूरे प्रदेश में लागू भी किया जायेगा।
आपको बता दें कि जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग में संचालित कुटुंब न्यायालयों को अंयत्र स्थानांतरित किए जाने के विरोध में जिला अधिवक्ता संघ द्वारा कामबंद हड़ताल का आव्हान किया गया था। हड़ताल के दौरान कतिपय अ्िधवक्ताओं द्वारा किए गए हंगामे के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा प्रेषित पत्र के आधार पर इस मामले को हाईकोर्ट ने अपने संज्ञान में लिया था। हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को पुलिस और कलेक्टर को न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों तथा इच्छुक अधिवक्ताओं, साक्षियों तथा न्यायालय में आने वाले पक्षकारों को पर्याप्त तथा प्रभावी सुरक्षा देने का निर्देश दिया था। साथ ही निर्देशित किया था कि यदि कोई कानून हाथ में लेता है तथा संज्ञेय अपराध कारित करता है तथा इसकी सूचना दी गई तो पुलिस एफआईआर दर्ज करे तथा संबंधित के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उद्योषित विधि के अनुसार कार्रवाई की जाए।
पिछली 21 जनवरी को इस मसले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। दुर्ग जिला अधिवक्ता संघ ने उस दिन हाईकोर्ट से बिना शर्त क्षमा याचना की थी और आंदोलन के दौरान हुई घटना के लिए खेद प्रकट किया था। उन्होंने आंदोलन को वापस ले लिए जाने की जानकारी से भी हाइकोर्ट को अवगत कराया गया था। अधिवक्ताओं ने न्यायायिक प्रक्रिया में सहयोग करने का वादा भी किया था। साथ ही आश्वस्त किया था कि दुर्ग न्यायालय में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर रामचंद्र मेनन एवं जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की युगल पीठ ने दुर्ग अधिवक्ता संघ और उनके सदस्यों को निर्देश दिया था कि वे अपनी सद्भावना को प्रदर्शित करने के लिए शपथ पत्र प्रस्तुत करें।