IIM संबलपुर दीक्षांत समारोह में डॉ. पी. के. मिश्रा का प्रेरणादायक संबोधन – ‘विकास, मूल्य और वैश्विक नेतृत्व की राह पर बढ़े भारत

19 अप्रैल 2025, संबलपुर (ओडिशा): प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने आज IIM संबलपुर के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गरीबी उन्मूलन, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा, और डिजिटल सशक्तिकरण जैसे व्यापक उद्देश्यों से जुड़ा है।

डॉ. मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “अमृत काल” विजन से प्रेरणा लेते हुए कहा कि देश को “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” की प्रक्रिया से आगे बढ़ाते हुए 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे केवल व्यापारिक सफलता नहीं, बल्कि मूल्यों, विविधता और परिवर्तन का भी नेतृत्व करें।

वैश्विक बदलावों के बीच भारत की भूमिका

‘‘वर्तमान भू-राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ में अवसर और चुनौतियां’’ विषय पर बोलते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान, प्रौद्योगिकी में तेज बदलाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत अपनी सुदृढ़ता, युवाशक्ति और तकनीकी क्षमता के दम पर विश्व मंच पर उभर रहा है।

भारत के 100+ यूनिकॉर्न, 200 अरब डॉलर से अधिक के आईटी निर्यात, और फार्मा क्षेत्र में वैश्विक योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।

जलवायु प्रतिबद्धता और तकनीकी नवाचार

डॉ. मिश्रा ने भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं का जिक्र करते हुए कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता का लक्ष्य और हरित हाइड्रोजन मिशन देश को स्वच्छ प्रौद्योगिकी और नवाचार में अग्रणी बना रहा है। उन्होंने छात्रों से इन क्षेत्रों में कौशल, नवाचार और उद्यमशीलता को अपनाने की अपील की।

IIM संबलपुर की विशेषता

डॉ. मिश्रा ने IIM संबलपुर की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान न केवल आधुनिक प्रबंधन शिक्षा का केंद्र है, बल्कि इसकी संरचना में संबलपुरी कला और पश्चिमी ओडिशा की विरासत झलकती है। उन्होंने संस्थान द्वारा स्थानीय बुनकरों के लिए चलाए जा रहे उद्यमिता विकास कार्यक्रम को भी सराहा।

छात्रों को दिया प्रेरणादायक संदेश

डॉ. मिश्रा ने छात्रों को धैर्य, आत्मविश्वास, नैतिकता और दीर्घकालिक सोच अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि भारत को प्रति वर्ष 8 से 10 मिलियन गुणवत्तापूर्ण नौकरियों की आवश्यकता है और इसके लिए डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और निजी क्षेत्र की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

“वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है, और ऐसे प्रबंधकों की ज़रूरत है जो केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों और वैश्विक जिम्मेदारियों के लिए काम करें।

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