रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों में देरी के चलते 5 जनवरी के बाद कई नगर निगम और नगर पालिकाओं की बागडोर चुने हुए प्रतिनिधियों की बजाय प्रशासकों के हाथों में सौंपी जा सकती है। राज्य के डिप्टी मुख्यमंत्री अरुण साव ने घोषणा की है कि आगामी चुनाव EVM के बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। हालांकि, आरक्षण प्रक्रिया 7 जनवरी तक पूरी होने की संभावना है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में और देरी हो सकती है।
चुनाव में देरी के कारण:
- राज्य में 5 जनवरी को कई नगर निगम और नगर पालिकाओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
- आरक्षण प्रक्रिया 7 जनवरी तक पूरी होगी, जिसके बाद ही चुनावों की घोषणा संभव है।
- ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की तैयारी में भी समय लग सकता है।
प्रशासकों की नियुक्ति का प्रावधान:
नगर निगम एक्ट के तहत, किसी निकाय में महापौर या अध्यक्ष का चुनाव समय पर नहीं होने की स्थिति में प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है। प्रशासकों को महापौर के समान अधिकार दिए जाएंगे। आमतौर पर वरिष्ठ आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया जाता है।
राजनीतिक बयानबाजी:
- कांग्रेस के मीडिया सेल के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बीजेपी चुनाव से बचने की कोशिश कर रही है।
- वहीं, डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि समय की कमी के कारण बैलेट पेपर से चुनाव कराना अनिवार्य हो गया है।
छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों की स्थिति:
- राज्य में कुल 184 नगरीय निकाय हैं।
- इनमें 14 नगर निगम, 48 नगर पालिकाएं और 122 नगर पंचायतें शामिल हैं।
- जनवरी में 10 नगर निगमों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
पूर्व में भी हुई थी प्रशासक नियुक्ति:
भूपेश बघेल सरकार के दौरान भी भिलाई चरौदा नगर निगम में चुनाव समय पर नहीं होने की वजह से प्रशासक की नियुक्ति की गई थी।