बीजिंग। चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की मंजूरी दे दी है। इसे अब तक का सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट माना जा रहा है। यह बांध तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से यारलुंग त्संगपो पर बनाया जाएगा, जो भारतीय सीमा के पास है। इस परियोजना को लेकर भारत और बांग्लादेश जैसे निचले तटों वाले देशों में चिंता बढ़ गई है।
परियोजना का विवरण:
- चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यह परियोजना यारलुंग त्संगपो नदी के निचले हिस्से पर बनाई जाएगी।
- इस बांध को जलविद्युत उत्पादन और जल भंडारण के लिए विकसित किया जाएगा।
भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत सरकार ने इस पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भारत ब्रह्मपुत्र पर होने वाले सभी विकास कार्यों पर नजर रखता है।
- चीन ने पहले भी भारत को यह आश्वासन दिया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर केवल रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट्स (जहां जल प्रवाह बाधित नहीं होता) करता है।
बांग्लादेश की चिंता:
ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भारत और बांग्लादेश में लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा है। बांध निर्माण से निचले क्षेत्रों में जल प्रवाह प्रभावित हो सकता है, जिससे कृषि, मछली पालन और पेयजल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
पर्यावरणीय और रणनीतिक प्रभाव:
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ सकती है और क्षेत्रीय जल विवादों को जन्म दे सकती है।