नई दिल्ली। ऐसा लग रहा है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान बर्बादी की कगार पर आ गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया। इसमें एक बार में 24 रुपये तक की गिरावट आई है और दोपहर तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 255 रुपये पर कारोबार कर रहा था। पाकिस्तान की मुद्रा विनिमय कंपनियों ने बुधवार से डॉलर-रुपये की दर पर सीमा हटा दी और कहा कि वे खुले बाजार में स्थानीय मुद्रा को धीरे-धीरे गिरने देंगे। इसके बाद यह गिरावट देखी गई।
पाकिस्तानी रुपये में इतने भारी गिरावट के पीछे की वजह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का पाक सरकार से अपना नियंत्रण समाप्त करने को बताया जा रहा है। कुछ समय पहले खबर आई थी कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाक सरकार से अपना नियंत्रण खत्म कर दिया है और बाजार की शक्तियों को मुद्रा दर निर्धारित करने देने के लिए कहा है।बाजार की शक्तियों द्वारा मुद्रा दर को निर्धारित करने के शर्त को पाकिस्तान ने आसानी से मान लिया है। इसके पीछे की वजह फंडिंग को बताया जा रहा है।
पाकिस्तान 6.5 बिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त करने के लिए वैश्विक निकाय की मंजूरी हासिल करना चाह रहा है।पाकिस्तान ने पिछले साल आईएमएफ बेलआउट जीता था, जिसके हिसाब से उसे फंडिंग मिलती चलिए थी, लेकिन अब तक इसके कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। इस वजह से पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था में इस जबरदस्त असर दिखने लगा है। खाने की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। आटे का एक पैकेट 3,000 रुपये तक में बेचा जा रहा है, जबकि वर्कशॉप के बंद होने से बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। बार-बार बिजली के जाने से देश को अंधेरे का सामना भी करना पड़ रहा है।