काका ने नाबालिग भतीजी के साथ की हैवानियत, पांच बच्चों के पिता को जिंदगी भर जेल की सजा

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अपनी नाबालिग भतीजी के साथ हैवानियत करने वाले आरोपी के खिलाफ अदालत ने फैसला सुनाया है। आरोपी पांच बच्चों का पिता है और पीड़िता से उसका काका-भतीजी का रिश्ता है। रिश्ते को कलंकित करने वाले इस मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए अदालत ने पूरे प्राकृत जीवन तक के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सरिता दास की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी। फैसले में अदालत ने पुनर्वास के लिए 4 लाख रूपए की राशि प्रतिकर के रुप में पीड़िता को प्रदान किए जाने की भी अनुशंसा की है।

मामला नंदनी थाना क्षेत्र का है और पीड़ित किशोरी की उम्र 13 वर्ष है। किशोरी अपनी दादा-दादी के साथ निवास करती है। घटना दिनांक 6 नवंबर 2018 की रात किशोरी के दादा-दादी दीपावली की पूजन सामग्री बेचने बाजार गए हुए थे। किशोरी अपनी दो बहनों के साथ घर में थी। इसी दौरान पडोस में निवास करने वाले आरोपी धिरपाल पारधी (36 वर्ष) की बेटी उन्हें अपने घर रात में सोने के लिए ले गई थी। धिरपाल पारधी रिश्ते में बच्चियो का काका है। तीनों बहने अन्य बच्चों के साथ आरोपी के घर में सो रही थी तभी देर रात को धिरपाल ने पीड़िता के साथ अनाचार किया। शोर मचाने की कोशिश करने पर आरोपी ने उसका मुंह दबा दिया था।. किशोरी से हैवानियत करने बाद आरोपी ने घटना का जानकारी किसी को देने पर जान से मारने की धमकी दी थी।
दूसरे दिन पीडिता की तबीयत बिगड़ गई। दादा-दादी के वापस लौटने पर उसने कमर और पेट में दर्द होने की जानकारी उन्हें दी। दवा देने पर भी दर्द कम नहीं होने पर पूछताछ में पीड़िता ने काका द्वारा की गई हैवानियत की जानकारी उन्हें दी। जिसके बाद 8 नवंबर 2018 को मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई। रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण कराने के उपरांत जुर्म दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। प्रकरण को विवेचना पश्चात विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था।
प्रकरण पर विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में किया गया। प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश सरिता दास ने अभियुक्त धिरपाल पारधी उर्फ लंबू (36 वर्ष) को नाबालिग के साथ जबरदस्ती अनाचार करने का दोषी करार दिया। अभियुक्त को दफा 376 (3) के तहत पूरे प्राकृत जीवन काल के लिए कारावास की सजा तथा 5 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया। अभियुक्त मामले में गिरफ्तारी के बाद से फैसला सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध है।