दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पैन इण्डिया आउटरिच कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। दुर्ग जिले में पैरा लीगल वालंटियर द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए बताया गया। इस दौरान मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति के अधिकारों से भी जन सामान्य को अवगत कराया गया।
नागरिकों को बताया गया कि स्वास्थ्य रहने के लिए दिमाग का स्वास्थ्य होना बहुत जरूरी है। अगर आप मेंटली फिट हैं तो जीवन में आने वाली समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं । ऐसे लोगों के साथ अधिक समय बिताएं जो सकारात्मक सोच के हों। जो लोग सामजिक रूप से सक्रिय होते हैं, वो लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें और अच्छा सोचें। हर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि वह जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करें। अपनी ऊर्जा को दूसरे की मदद में लगाने से आपको काफी खुशी मिलेगी। खुश रहना आपके दिमाग को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
विभिन्न स्थानों पर संपर्क कर पैरालीगल वालिन्टियर ने बताया कि आज कल की इस दौड़ती भागती जिंदगी में हर कोई मानसिक दबाव से गुजर रहा है, लेकिन बहुत कम लोग ही इसे अहमित देते हैं। इस अनदेखी के कारण वह मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंजाइटी से लेकर हिस्टीरिया, डिमेंशिया, फोबिया जैसी मानसिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता को समझाने के लिए आज के दिन 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है । इसका मकसद यह है कि लोगों के बीच मानसिक दिक्कतों को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके।
मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहने के लिए सबसे पहले अपने खान पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी से सुरक्षित रहें। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 में लागू किये गए। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा और सेवाएँ प्रदान करना है। साथ ही यह अधिनियम मानसिक रोगियों के गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम के अनुसार ‘‘मानसिक रोग’’ से अभिप्राय विचार, मनोदशा, अनुभूति और याददाश्त आदि से संबंधित विकारों से होता है, जो हमारे जीवन के सामान्य कार्यों जैसे निर्णय लेने और यथार्थ की पहचान करने आदि में कठिनाई उत्पन्न करते हैं।
मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के अधिकार
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का अधिकार होगा। अधिनियम में गरीबी रेखा से नीचे के सभी लोगों को मुफ्त इलाज का भी अधिकार दिया गया है। अधिनियम के अनुसार, मानसिक रूप से बीमार प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार होगा और लिंग, धर्म, संस्कृति, जाति, सामाजिक या राजनीतिक मान्यताओं, वर्ग या विकलांगता सहित किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य, उपचार और शारीरिक स्वास्थ्य सेवा के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने का अधिकार होगा। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की सहमति के बिना उससे संबंधित तस्वीर या कोई अन्य जानकारी सार्वजानिक नहीं की जा सकती है।

