दुर्ग (छत्तीसगढ़)। पद्मनाभपुर के समीप संचालित प्राकृतिक चिकित्सालय की जमीन पर एक पुलिस एसआई द्वारा बेजा कब्जा किए जाने का मामला सामने आया है। यहीं नहीं कब्जा जमीन पर घेराबंदी एसआई पुत्र द्वारा फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है। इस मामले की शिकायत प्रभावित पक्ष द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की गई है। प्रभावितों ने एसआई द्वारा किए बेजा कब्जा को मुक्त कराए जाने की मांग की है।
शिकायत में बताया गया है कि पद्मनाभपुर के समीप पूर्व में संचालित माधव निसर्गोपचार प्राकृतिक चिकित्सालय की जमीन पर पद्मनाभपुर पुलिस चौकी प्रभारी एसआई प्रमोद श्रीवास्तव और उनके पुत्र पीयूष श्रीवास्तव ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने ट्रस्ट या जमीन के वारिसान को किसी भी प्रकार की लिखित सूचना दिए बिना न केवल बाउंड्रीवाल का निर्माण किया है, बल्कि ट्रस्ट की जमीन पर प्रीकास्ट बनाने की फैक्ट्री खोल लिया है। प्रमोद श्रीवास्तव सन् 2017 से माधव निसर्गोपचार ट्रस्ट प्राकृतिक चिकित्सालय परिसर में स्थित स्पेशल वार्ड कमरा नंबर 1 में परिवार के साथ निवासरत है। खाली करने के लिए कहने पर झूठे केस में फंसा देने की धमकी देता है।
दाउ चंदूलाल चंद्राकर के परिवार के सदस्य भी श्रीवास्तव की हरकतों की वजह से अस्पताल और बाउंड्रीवाल वाले जमीन के अंदर जाने से कतराने लगे हैं। दाउ के पौत्र डिलेश्वर चंद्राकर का कहना है कि बाउंड्रीवाल की ऊंचाई अधिक होने की वजह से बाहर से कुछ भी दिखाई नहीं देता। जबकि उक्त जमीन पर कई लोग निवासरत हैं। वे लोग अंदर में क्या कर रहे हैं। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी नहीं है।
दाऊ चंदूलाल चंद्राकर ने दान में दी थी जमीन
नगर पालिक निगम दुर्ग पदमनाभपुर स्थित खसरा नं. 141/4 (1.214 हेक्टेयर) जमीन को ग्राम कुथरेल निवासी स्व.दाऊ चन्दूलाल चन्द्राकर ने अस्पताल के लिए ट्रस्ट को दान में दी थी। जहां उनके बड़े बेटे डॉ.लक्ष्मीनारायण चंद्राकर ने माधव निसर्गोपचार प्राकृतिक चिकित्सालय खोला। लोगों का नि:शुल्क उपचार कर रहे थे। डॉ लक्ष्मीनाराण के मृत्यु के बाद अस्पताल बंद हो गया। इसके बाद ट्रस्ट के सदस्यों ने ध्यान नहीं दिया। तब डॉ लक्ष्मीनारायण के पुत्रों ने ट्रस्ट व अपनी जमीन से संबंधित दस्तावेज की जानकारी जुटाना शुरू किया। तब यह बात भी सामने आई है कि 2017 से ही प्रमोद श्रीवास्तव उक्त जमीन को हड़पने की नियत से वहां निवासरत है। उन्होंने अस्पताल में रहते हुए ही उन्होंने जमीन को बेचने का प्रयास भी कर चुके हैं। परिवार के कुछ सदस्यों को एक हजार रुपए वर्गफीट से जमीन को उनके नाम पर बेच देने का प्रलोभन भी दे रहे थे। लेकिन जब इसमें कामयाब नहीं हुआ तब उन्होंने जमीन पर बाउंड्रीवाल बनाकर फैक्ट्री खोल लिया।