दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे की बच्चों के खिलाफ अपराध को लेकर एक बार फिर संजीदगी सामने आई। उन्होंने शुक्रवार को खुर्सीपार चौक पर तीन बच्चों को भीख मांगते देखा तो वे अपने आप को रोक नहीं पाए। उन्होंने तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को तलब किया और बच्चों से भीख मंगवाने वालों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कराया। इसके साथ ही उन्होंने रेस्क्यू किए गए दो बालकों को आश्रय गृह और बालिका को मातृछाया भिजवाया।
खुर्सीपार गेट पर भीख मांग रहे 12 वर्ष व 7 वर्ष का बालक और एक 6 वर्ष साल बालिका को कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम ने रेस्क्यू किया। बच्चों को रेस्क्यू किए जाने पर नियमानुसार बालक कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। रेस्क्यू अभियान में यह पता चला कि कुछ लोगों द्वारा इन नाबालिग बच्चों से भिक्षावृत्ति का कार्य कराया जाता है। चूंकि बाल भिक्षावृत्ति कराना बाल शोषण की श्रेणी में आता है। इसलिए टीम द्वारा उक्त व्यक्तियों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम के तहत थाना खुर्सीपार में अपराध पंजीबद्ध कराया गया। बाल भिक्षावृत्ति में संलिप्त बालकों को बालक कल्याण समिति द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के तहत संचालित खुला आश्रय गृह में व बालिका को मातृछाया सेवाभारती में अस्थायी संरक्षण हेतु आदेशित किया गया है। रेसक्यू की कार्रवाई में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन, जिला बाल संरक्षण अधिकारी प्रीति डांगरे, सामाजिक कार्यकर्ता पुरंजन सिंह, चाइल्ड लाइन समन्वयक सुरेश कापसे, टीम मेंम्बर भारती बिसेन, थाना प्रभारी खुर्सीपार सुरेन्द्र उके, एसआई सतीश साहू शामिल थे।