गोधन योजना से जैविक खेती की होगी राह आसान, इस दिशा में गंभीरता से करें कार्य : सच्चिदानंद आलोक

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राज्य सरकार द्वारा लाई गई गोधन योजना के माध्यम से जैविक खेती की ओर लोग रूख करेंगे। साथ ही इससे पशुपालकों को भी काफी आय होगी। इसके माध्यम से जैविक खेती की ओर राह के साथ ही पशुधन की संभावनाओं का पूरा इस्तेमाल भी हो पाएगा। यह बात आज कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने कही। उन्होंने जैविक खेती के माध्यम से फर्टिलाइजर में लगने वाला खर्च घटेगा। इसके साथ ही जैविक उत्पादों का बड़ा बाजार है और किसानों को अपने उत्पाद के ज्यादा दाम मिलेंगे। इस बात की ओर कृषि विभाग के अधिकारी लोगों को प्रेरित करें तो ग्रामीण विकास की नई राह खुलेगी। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से जैविक सब्जी का बड़ा मार्केट उपलब्ध है। कंपोस्ट खाद के माध्यम से हमारी बाड़ियों में होने वाले उत्पादन से ग्रामीणों की आय भी बढ़ेगी और मूलतः जैविक खेती का दायरा बढ़ेगा जो कृषि की लागत दृष्टि से भी सही एप्रोच है और स्वास्थ्यप्रद भी है।
सीईओ ने कहा कि गौठान मूलतः ग्रामीण  आजीविका के प्रमुख केंद्र  बनेंगे। लोगों को जैविक खाद का अच्छा दर मिले। इसके लिए शासन ने अभिवन योजना लाई है। इससे पहले जिला प्रशासन ने भी पहल कर उद्यानिकी फसलों के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया। इस प्रकार पहले भी हमारी स्वसहायता समूहों की महिलाओं का खाद अच्छा बिक रहा है। इसमें कृषि अधिकारी यह देखें कि लोग वैज्ञानिक तरीके से कंपोस्ट खाद का उत्पादन करें। इनकी सतत मानिटरिंग से अच्छे खाद उत्पादन की अच्छी संभावनाएं बनेंगी। सीईओ ने कहा कि इसके लिए गौठानों में रोटेशन आधार पर मानिटरिंग तय कर लें। उन्होंने पंचायत विभाग के अधिकारियों को लगातार कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय से कार्य करने कहा। सीईओ ने कहा कि अरहर का रकबा बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है। अभी मेड़ों में डीएमएफ के माध्यम से अरहर उत्पादन के विस्तार की योजना बनी है। इसके अलावा भी हमें विस्तार के लिए दलहन के प्रयोग के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन ने इस बार रोकाछेका के माध्यम से काफी पहले पशुधन को खरीफ फसल के मौके पर बाहर निकालना बंद करा दिया। इसका फायदा ग्रामीण ले सकते हैं और तीन फसलों के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। कृषि एवं पंचायत विभाग के अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान देकर तीन फसलों के लक्ष्य के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करें।