वनों को आदिवासियों की आय और रोजगार का साधन बनाने की रणनीति पर काम करें : भूपेश बघेल

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वनों को आदिवासियों की आय और रोजगार के साधन के रूप में विकसित करने की रणनीति पर काम करने के निर्देश आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में दिए। साथ ही उन्होंने वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के लिए निर्देशित किया। प्रदेश में वन विभाग द्वारा इस वर्ष विभिन्न मदों के अंतर्गत पांच करोड़ एक लाख पौधे के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक में कहा कि जिन हितग्राहियों को वन अधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं उन्हें वृक्षारोपण के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इन हितग्राहियों की जमीन पर मनरेगा और वन विभाग की योजनाओं के तहत अभियान चलाकर महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, आम, इमली, चिरौंजी जैसे अलग-अलग प्रजातियों के फलदार वृक्ष लगाए जाएं, इससे भी जंगल बचेगा और हितग्राही को आमदनी भी होगी। श्री बघेल ने कहा कि इन हितग्राहियों को तत्काल आय का साधन उपलब्ध कराने के लिए उनकी जमीन पर तीखुर, हल्दी और जिमीकांदा भी लगाया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इन उत्पादों के जरिए जल्द आय का साधन मिल सके। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी जंगलों से विमुख हो रहे हैं क्योंकि जंगल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हमें जंगलों को वनवासियों के लिए रोजगार और आय का जरिया बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फलदार वृक्ष लगाने के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण और उनकी मार्केटिंग तथा वैल्यू एडिशन का भी एक सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। जंगलों, सड़कों के किनारे और राम वन गमन पथ के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम जैसी प्रजातियों के पौधे भी लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में निर्देश दिए कि वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थानीय लोगों और वनवासियों को अधिकाधिक जोड़ा जाए। राज्य में चालू वर्ष में रायपुर से जगदलपुर तक 300 किलो मीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 1300 किलो मीटर लम्बाई के राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम तथा आंवला आदि फलदार प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बनाए जा रहे गौठानों में अभियान चलाकर जुलाई माह में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का रोपण किया जाए। उन्होंने बैठक में वृक्षारोपण के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में स्व-सहायता समूहों द्वारा बांस ट्री गार्ड के निर्माण की प्रशंसा की और इसे बढ़ावा देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में समूहों द्वारा एक लाख बांस ट्री गार्ड का निर्माण हो चुका हैै तथा तीन लाख और बांस ट्री गार्ड का निर्माण जारी है। इससे समूहों को 16 करोड़ रूपए की आमदनी होगी। बघेल ने आवर्ती चराई योजना के तहत वन क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारागाह घेरने, शेड निर्माण और वहां वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ देशी मुर्गी पालन तथा बतख और सूकर पालन जैसे गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। इसके तहत वर्तमान में स्वीकृत 590 कार्याें में से 324 कार्य प्रगति पर है। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा चालू वर्ष में 210 करोड़ रूपए की राशि के 302 नालों में जल संवर्धन संबंधित कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा वनांचल में 137 बड़े-बड़े तालाबों के निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकृति की कार्यवाही प्रगति पर है। बैठक में बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए वन प्रबंधन समितियों और महिला स्व सहायता समूहों की लगभग एक हजार महिलाओं द्वारा 50 लाख मास्क का निर्माण किया जा चुका है। इससे इन महिलाओं को डेढ करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बैठक में बताया कि इस वर्ष तेंदूपत्ता तोड़ाई के पारिश्रमिक का भुगतान सीधे हितग्राहियों के खाते में करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में चालू वर्ष के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण से 12 लाख 53 हजार परिवारों को लगभग 649 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली वनोपजों की जानकारी से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए सर्वे कराया जा रहा है। अगले तीन से 4 वर्षों में लघु वनोपजों की ऑनलाइन खरीदी की व्यवस्था तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है।

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