लॉकडाउन अवधि में जरूरतमंद महिलाओं के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल बना सखी वन स्टॉप सेंटर

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित सखी वन स्टाॅप सेन्टर जिला दुर्ग में पीड़ित एवं शोषित महिलाओं को संरक्षण देने का कार्य किया जा रहा है। जहाॅ पूरे भारत में कोरोना वायरस का बढ़ते संक्रमण को मद्दे नजर रखते हुए सखी वन स्टाॅप सेन्टर द्वारा पुलिस, स्वास्थ्य एवं विधि विभाग के साथ जिले में सखी केन्द्र द्वारा 22 मार्च से अब तक कुल 7 महिलाओं को आश्रय देते हुए अन्य संस्थाओं व उनके निवास स्थान पहुंचाने एवं घरेलु हिंसा से पीडित महिलाओं का व्यक्तिगत परामर्श देते हुए स्थिति सामान्य होने तक उचित स्थान में रहने की सलाह दी गई सहायता की गई है।

केस 1:- थाना जामुल के द्वारा एक विदेशी महिला को दिनांक 4 मार्च को चिकित्सा पश्चात् अस्थायी आश्रय हेतु सखी सेन्टर दुर्ग में लाया गया। जिनके निर्वासन की कार्यवाही प्रदेश में चल रहे लाॅक डाउन की स्थिति मे ंनही हो पायी हैं। पीड़िता का प्राथमिक उपचार के बाद दिनांक 16 मार्च को स्थिति सामान्य होने तक स्थायी आश्रय हेतु उज्जवला होम बिलासपुर भेजा गया है।
केस 2ः- दिनांक 14 मार्च को राज्य मानसिक चिकित्सालय सेन्दरी, जिला बिलासपुर के द्वारा विक्षिप्त महिला की मानसिक स्थिति सामान्य होने के पश्चात् सखी टीम द्वारा सखी वन स्टाॅप सेन्टर जिला दुर्ग में लाया गया, उक्त पीड़िता विदेशी होने के कारण निर्वासन कार्यवाही पूर्ण नहीं हुई है जिनका प्राथमिक उपचार के उपरान्त दिनांक 16 मार्च को नारी निकेतन जिला रायपुर को सुपुर्द किया गया।
केस 3ः- दिनांक 22 मार्च को सिटी कोतवाली दुर्ग द्वारा महिला व उनके लगभग 06 माह के बच्चे के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कर सखी सेन्टर दुर्ग अस्थायी आश्रय हेतु लाया गया। पीड़िता के कथानुसार उनके निवास स्थान ले जाया गया जहाॅ उनके परिजनों व गांव वालों के द्वारा रखने से इंकार कर दिया गया व पीड़िता स्वयं भी अपने परिजनों के साथ नहीं रहना चाहती थी, अतः पीड़िता को पुनः सखी सेन्टर आश्रय हेतु लाया गया, उक्त पीड़िता का प्राथमिक उपचार के उपरान्त सखी टीम के द्वारा दिनांक 16 अप्रैल को नारी निकेतन जिला रायपुर के सुपुर्द किया गया।
केस 4ः- दिनांक 08 अप्रैल को महिला आरक्षक थाना उतई, जिला दुर्ग द्वारा पीड़ित महिला जिसे उनका प्रेमी शादी का प्रलोभन देकर करीब 08 माह से शोषण करता रहा, पीड़िता 02 अप्रैल को कथित प्रेमी के निवास स्थान पर जाकर 05 दिन तक इंतजार करती रही परन्तु कथित प्रेमी के ना आने पर पीड़िता थाना उतई आई जहां से प्राथमिक उपचार कर सखी सेन्टर दुर्ग अस्थायी आश्रय हेतु लाया गया। उक्त पीड़िता को आगे की कार्यवाही हेतु 13 अप्रैल को थाना उतई के सुपुर्द किया गया।
केस 5ः- दिनांक 14 अप्रैल को रात्रि 09 बजे दूरभाष से सूचना मिलने पर सखी टीम दुर्ग द्वारा के.पी.एस. स्कूल स्मृति नगर के पास बैठी विक्षिप्ति महिला का रेस्क्यू किया गया। एवं 108 के माध्यम से जिला चिकित्सालय दुर्ग में स्वास्थ्य परीक्षण कर सखी सेन्टर दुर्ग अस्थायी आश्रय हेतु लाया गया , दिनांक 15 अप्रैल को पीड़िता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने कारण मानसिक चिकित्सा कराते हुए मुख्य न्यायायिक मजिस्टेªट से रिसेप्शन आर्डर के पश्चात् दिनांक 16 अप्रैल को सखी टीम द्वारा सेन्दरी बिलासपुर रिफर किया गया।
केस 6ः- दिनांक 14 अप्रैल को रात्रि लगभग 10 बजे थाना सिटी कोतवाली दुर्ग के द्वारा 112 के माध्यम से बस स्टैण्ड दुर्ग में भटकती हुई महिला को सखी सेन्टर दुर्ग में अस्थायी आश्रय हेतु लाया गया। पीड़िता के कथनानुसार वह भिलाई में घरेलु कार्य करती है जिन्हें दिनांक 14 अप्रैल शाम उनके मालिक के द्वारा दुर्ग बस स्टैण्ड में घर जाने के लिए छोड़ दिया गया, पीड़िता रात 10 बजे तक बस स्टैण्ड पर ही बैठी हुई थी, वह अपने निवास स्थान जाना चाहती थी, अतः दिनांक 15 अप्रैल को सखी टीम के द्वारा सखी सेन्टर जिला बेमेतरा सुपुर्द किया गया, जहां से पीडिता को उनके गृहग्राम पहुंचाया गया है।
केस 7ः- दिनांक 15 अप्रैल को पीड़िता को थाना मोहन नगर के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण कराकर सखी सेन्टर दुर्ग में अस्थायी आश्रय हेतु लाया गया, आगे की कार्यवाही हेतु दिनांक 16 अप्रैल को दोपहर में थाना मोहन नगर के सुपुर्द किया गया।