मोटर सायकल की पूरी रकम वसूलने के बावजूद फायनेंस कराकर ग्रामीण ग्राहक से अतिरिक्त रकम की वसूली कराने वाले वाहन डीलर के खिलाफ उपभोक्ता फोरम द्वारा आदेश पारित किया गया है। फोरम ने डीलर को एक माह की अवधि में वसूली गई अतिरिक्त रकम की वापसी करने के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति के साथ 50 हजार 149 रु. अदा करने का निर्देश दिया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला जेवरा सिरसा निवासी महेंद्र निषाद से संबंधित है। महेन्द्र निषाद का मछली पालन का व्यवसाय है। उसे उप संचालक मछली पालन विभाग द्वारा मोटरसाइकिल खरीदने हेतु अनुदान राशि 30 हजार रु. प्रदान की गई थी। मोटरसाइकिल की कीमत 62 हजार 851 रु. थी। उप संचालक मछली पालन विभाग द्वारा वाहन डीलर के नाम से अनुदान राशि 30000 का चेक दिया गया, वहीं महेन्द्र ने 35 हजार रु. का नगद भुगतान किया था। इस प्रकार से खरीदी गई मोटरसाइकिल की पूरी कींमत अदा कर दी गई थी। इसके बावजूद कुछ दिनों बाद इंडसइंड बैंक की सुपेला ब्रांच से फोन आया कि मोटरसाइकिल पर फयानेंस है और उसे प्रतिमाह 3870 रु. की किश्त 11 माह तक जमा करनी होगी। भुलावे में आकर महेन्द्र ने 32 हजार रु. की राशि अदा कर दी। बाद में मामले को उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। उपभोक्त पोरम ने विचारण पश्चात प्रकरण को व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में मानते हुए वाहन डीलर के खिलाफ आदेश पारित किया है।