दुर्ग का बस स्टैंड इन दिनों भारी अव्यवस्था और असामाजिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। यहां की हालत देखकर ऐसा लगता है कि कोई जिम्मेदार अधिकारी इसे नियंत्रण में रखने की कोशिश नहीं कर रहा। बस चालक कहीं भी आड़ी-तिरछी बसें खड़ी कर देते हैं, जिससे यात्रियों का प्रतीक्षालय तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।
बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन को शहर का आईना माना जाता है, लेकिन दुर्ग में इन दोनों जगहों की स्थिति बेहद खराब है। खासकर बस स्टैंड में रात के समय सभ्य लोगों का आना जाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि यहां असामाजिक तत्वों का डेरा रहता है। गांजा, शराब जैसी अवैध गतिविधियां यहां आम बात हो गई हैं, और पुलिस का कोई डर नहीं दिखता।
बस स्टैंड की स्वच्छता की भी हालत दयनीय है। बसों की ढुलाई और सफाई बस स्टैंड के अंदर ही की जाती है, जिससे पूरा बस स्टैंड गंदगी और पानी से भरा रहता है। सफाई के अलावा यहां लाइट की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है।
यात्रियों के लिए लगाया गया वाटर कूलर भी बेकार पड़ा है, जिसका केवल एक नल काम कर रहा है और वह भी अक्सर बंद रहता है। पार्किंग व्यवस्था भी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। ड्राइवर अपनी मर्जी से कहीं भी बस खड़ी कर देते हैं, जिससे आए दिन झगड़े होते रहते हैं। कई बसें महीनों से बिना हिले बस स्टैंड में खड़ी हैं, जिससे बस स्टैंड के अंदर-बाहर अव्यवस्था और बढ़ गई है।
हालत यह है कि बसों की पार्किंग बस स्टैंड के अंदर होती है, लेकिन उन्हें स्टैंड के बाहर से छोड़ा जाता है, जिससे स्टैंड के अंदर स्थित दुकानदारों का व्यापार प्रभावित हो रहा है। स्थानीय लोग और दुकानदार प्रशासन से इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं, ताकि बस स्टैंड की अव्यवस्था और असामाजिक गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।