खाता धारक को जानकारी दिए बिना रकम की कटौती कर खाता को सीज किए जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा बैंक के खिलाफ आदेश पारित किया गया है। फोरम ने खाता से कटौती की गई रकम को एक माह की अवधि में धारक को वापस करने का निर्देश दिया है। साथ ही इससे हुए मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए 25 हजार रु. का भुगतान करने का आदेश दिया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला आईसीआीसीआई बैंक की नेहरु नगर स्थित शाखा से संबंधित है। भिलाई के सुपेला निवासी दिनेश सिंह का इस बैंक में खाता है। इस खाता में 2 लाख 30 हजार रु. का चेक 26 दिसंबर 2016 को आहरण के लिए जमा किया गया था। जिसके अप्रैल 2017 में खाता धारकको जानकीर मिली कि उसके खाता को बैंक द्वारा बिना जानकारी दिए सीज कर दिया गया है। इसके अलावा 1 लाख 82 हजार 901 रु. की कटौती भी कर ली गई है। संपर्क किए जाने पर बैंक प्रबंधन ने जानकारी दी कि जिस व्यक्ति का चेक शाखा में आहरण के लिए जमा किया गया था, उसके खाता में पर्याप्त राशि नहीं थी। इसलिए खाता में जमा राशि की कटौती कर शेष राशि 47 हजार 200 रु. की वसूली के लिए खाता को सीज किया गया है। दिनेश सिंह ने दाखिल परिवाद में फोरम को बताया कि इस खाता से रकम के भुगतान के लिए उसके द्वारा पोस्ट डेटेड चेक जारी किए गए थे, खाता सीज होने के कारण कई चेक बाउंस होगए। जिससे उसके सिविल को भी नुकसान हुआ है।
इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा अपनाई गई इस कार्यप्रणाली को सेवा में कमी के साथ व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में माना। फोरम ने बैंक प्रबंधन को एक माह की अवधि में कटौती की गई रकम 1 लाख 82 हजार 901 रु. अदा करने का निर्देश दिया है। साथ ही इससे हुई मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 25 हजार रु. व वाद व्यय की राशि 1 हजार रु. का भी भुगतान करने का निर्देश दिया है।