गाजियाबाद लोकसभा चुनाव 2024 में हुई चुनावी धांधली से उपजते तल्ख सवाल मांग रहे दो टूक जवाब

लोकतंत्र का महापर्व चुनाव होता है, लेकिन जब चुनाव में ही धांधली हो जाए और प्रशासनिक अमला हाथ पर हाथ धरा बैठा नजर आए, तो फिर कहा किससे जाए, यक्ष प्रश्न है! इतना ही नहीं, यदि प्रशासन के कुछ खास लोग ही सत्तापक्ष से मिले हुए प्रतीत हों, जैसे कि खुलेआम आरोप सोशल मीडिया पेजों पर चस्पां हुए, तो फिर कहने को कुछ शेष नहीं रह जाता है। ऐसे में गाजियाबाद लोकसभा चुनाव 2024 में हुई चुनावी धांधली से उपजते सवाल का जवाब अवाम अवश्य चाहेगी, क्योंकि उसके जनादेश का गला घोंटने का जो दुस्साहस किया गया है, उसे अनुत्तरित नहीं छोड़ा जा सकता।
मसलन, उत्तरप्रदेश में दूसरे चरण के मतदान के दौरान इंडिया गठबंधन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा, एमबीए ने ट्वीट करते हुए कहा कि गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने में केंद्रीय चुनाव आयोग विफल रहा है। उनके कहने का तातपर्य यह है कि जब केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लोगों के इशारे पर ही स्थानीय प्रशासन और उससे जुड़े लोगों को कार्य करना है, तो फिर कहने को कुछ शेष नहीं रह जाता है! 
पहला, डॉली शर्मा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (ट्वीटर) पर लिखा है कि सूर्यनगर इलाके में भाजपा ने सुबह हमारी टेबल हटा दी। फिर से टेबल लगी, लेकिन ये लोग बार बार झंडे हटा देते हैं। ये क्या गुंडागर्दी नहीं है? अपने ट्वीट में उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग के उच्चाधिकारियों को टैग करते हुए लिखा कि मैं इलेक्शन कमीशन से कहना चाहती हूं कि कृपया शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव हो, उसका इंतजाम किया जाए। क्योंकि भाजपा लगातार जिस तरीके से धांधली कर रही है, बीएलओ से पर्चियां छीनी गई हैं और वो भाजपा प्रत्याशी के लिफाफे में डालकर भेजी जा रही हैं, वह अपने आप में एक गम्भीर सवाल खड़ा करता है? 
दूसरा, डॉली शर्मा ने आगे एक्स (ट्वीटर) पर एक वीडियो टैग करते हुए लिखा है कि ब्रिजविहार डीएवी स्कूल पर प्रतिक्रिया देखिए। भाजपा ने बीएलओ से पर्चियां छीनकर अपनी जेबों में रखी है। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा है कि @ECISVEEP ये कौन सा चुनाव है? इस वीडियो में एक व्यक्ति बोल रहा है कि जातिविशेष व सम्प्रदाय विशेष के इलाकों में बीएलओ ने पर्चियां बांटी ही नहीं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं को बांटने के लिए दे दी, जिन्होंने अपने मनमाफिक कार्य किया। यह प्रशासनिक मिलीभगत का नतीजा नहीं तो क्या है? क्योंकि इससे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन समर्थक वोट देने ही नहीं निकले, क्योंकि उनके पास पर्चियां ही नहीं थीं।
तीसरा, डॉली शर्मा ने  @ECISVEEP को टैग करते हुए आगे लिखा है कि 2 घण्टे से बूथ संख्या 335 गाजियाबाद लोकसभा के नाहल में 2 घण्टे से मशीन बन्द है, हर जगह मुस्लिम इलाकों में वोटिंग स्लो कर रखी है, वोटरों को धमकाया जा रहा है। उनकी इन टिप्पणियों पर उनके समर्थकों ने कहा है कि इससे केंद्रीय चुनाव आयोग की साख पर बट्टा नहीं तो क्या लगेगा, आप समझदार हैं! 
चतुर्थ, कांग्रेस उम्मीदवार डॉली शर्मा ने आगे आरोप लगाया कि भाजपा की तानाशाही चरम पर है। मुस्लिम इलाकों में वोटिंग रोककर और लाइट काटकर वोटिंग को बाधित करने का लगातार प्रयास किया गया। यह साजिश नहीं तो क्या है? उन्होंने अपने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ और ‘फेसबुक’ पर @ECISVEEP और #Ghaziabad को टैग करते हुए उपर्युक्त बातें लिखी हैं। 
पंचम, उन्होंने @dm_ghaziabad @ECISVEEP मुरादनगर #Ghaziabad को टैग करते हुए लिखा कि मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र में बूथ नम्बर-119 से 123 तक वोट डाली जा रही है, लेकिन हमारे एजेंट्स बाहर कर दिए गए हैं। आखिर ये क्या हो रहा है? लोकतंत्र की हत्या है सीधी की सीधी! 
छठा, शहीद नगर में दौनाराम स्कूल और एकता स्कूल पर 4 बजे से लाइट नहीं है। कृपया ध्यान दीजिए। आखिर किसके आदेशों से ऐसा हो रहा है। वहीं, हर एक घण्टे में साहिबाबाद इलाके में शहीदनगर में विकास मॉडर्न स्कूल की लाइट काटी जा रही है। @ECISVEEP ऐसा क्यों? क्या इसी को फ्री एंड फेयर इलेक्शन कहते हैं? 
सातवां, सरदार पटेल स्कूल, विजय नगर में 45 मिनट से मशीन बन्द है और बूथ पर फर्जी वोट डाली जा रही है। लेकिन @ECISVEEP आपके सहायक रिटर्निंग ऑफिसर फोन नहीं उठा रहे हैं। भाजपा अब खुलकर चोरी कर रही है। वहीं, बूथ नम्बर- 425 कंपोजिट विद्यालय डासना गेट, गाजियाबाद में वहां के चुनाव कर्मी वोट नहीं डालने दे रहे हैं। सुबह में यहां मशीन 1 घण्टे तक बन्द रही। @ECISVEEP कुछ कीजिए। यहां पर लोगों ने डॉली शर्मा को बताया कि भाजपा के एजेंट बूथ के अंदर हैं, मतदान अधिकारी मतदाताओं से अभद्र भाषा में बात कर रहे हैं, उनके साथ बदतमीजी की जा रही है। वहीं महिला पुलिस महिलाओं को भगा रही है। 
आठवां, डॉली शर्मा के द्वारा लगातार किये गए ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में लोगों का कहना है कि गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र का जनसमूह अब डॉली शर्मा के साथ हो चुका है, लिहाजा इंडिया गठबंधन की सफलता से भाजपा घबरा गई है। ये बातें तो महज बानगी भर हैं, लेकिन पांचों विधानसभाओं में डॉली शर्मा के समर्थक मतदाताओं के खिलाफ राजनीतिक व प्रशासनिक कुचक्र जारी रहा, जो शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव का दावा करने वाली एजेंसियों की कलई खोल देने को काफी है। 
नवम, आलम यह है कि लोकसभा प्रत्याशी डॉली शर्मा व उनके समर्थकों की शिकायतों को भी नजरअंदाज किया जाना आम बात है। इससे स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है, जो चुनाव बाद कभी भी फूट सकता है। उनके समर्थकों का साफ कहना है कि यदि प्रशासनिक धांधली से हमारी सुनिश्चित विजय को पराजय में बदलने की कोशिश की गई तो सबूत सहित कोर्ट तक इस विषय को पहुंचाया जाएगा, लेकिन मदमस्त सत्ता के नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
दशम, यह सब तब हुआ जब डॉली शर्मा ने चुनाव आयोग को इस बारे में पहले ही आगाह कर दिया था, बावजूद इसके प्रशासनिक लापरवाही और पक्षपात सामने आया! उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में इंडिया गठबंधन की सुनामी चल रही है, जिसे प्रशासनिक तिकड़मों से रोका नहीं जा सकता है। हमारे कार्यकर्ता धैर्य और संयम पूर्वक अपना काम कर रहे हैं, क्योंकि वो हमारी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। हां, प्रशासनिक धांधली व पक्षपात से जीत का अंतर थोड़ा कम हो सकता है। लेकिन प्रशासनिक पक्षपात के खिलाफ विधिसम्मत लड़ाई आगे भी लड़ी जाएगी।
ग्यारह, इंडिया गठबन्धन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग के मातहत कार्यरत प्रशासन का आज यानी मतदान के दिन की गतिविधियां देखकर उस पर कोई भरोसा नहीं रहा। इसलिए उन्होंने सभी पोलिंग एजेंट्स से अनुरोध किया कि अपने-अपने बूथों की ईवीएम मशीनें सील करवाकर ही उठें और बसों के पीछे मंडी तक जाएं। वो खुद देर शाम अपनी टीम के साथ गोविंदपुरम अनाज मंडी पहुंचीं और अपनी देखरेख में सभी ईवीएम को सीलबंद करवाया।
बारह, बताया जाता है कि भगवा किले में इंडिया गठबंधन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा द्वारा जबर्दस्त सेंधमारी किये जाने से घबराई मोदी सरकार ने अपने ‘भरोसेमंद अधिकारियों’ के मार्फ़त अपनी मातहत योगी सरकार की ऐसी नकेल कसी कि केंद्रीय चुनाव आयोग के अधीन कार्यरत गाजियाबाद प्रशासन के कतिपय लोग भी गत 26 अप्रैल 2024 को मतदान के दिन ‘चुनावी कदाचार’ पर उतर आए और जगह जगह पर डॉली शर्मा के समर्थक मतदाताओं को हतोत्साहित किया। 
तरह, आलम यह रहा कि डॉली शर्मा के समर्थकों को मतदान केंद्रों पर न केवल रोका और धमकाया गया, बल्कि ईवीएम में गड़बड़ी पैदा करके मतदान की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की गई। दो टूक शब्दों में कहूँ तो इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा की सियासी सुनामी को रोकने के लिए कहीं ईवीएम किया बन्द गया तो कहीं समर्थक वोटरों से बदसुलूकी की गई, जो भारतीय लोकतंत्र की सफलता पर सवालिया निशान लगाने को काफी है।
चौदह, इन बातों से स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं चुनाव आयोग भी अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरतता पाया गया, क्योंकि बहुधा शिकायत पर त्वरित कार्रवाई महसूस नहीं की गई। खास बात यह कि जिन चुनावी कदाचार की आशंका डॉली शर्मा पहले ही व्यक्त कर चुकी थीं, उसे रोकने के माकूल उपाय नहीं किया जाना घोर प्रशासनिक लापरवाही नहीं तो क्या है? यही वजह है कि इंडिया गठबंधन की कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा ने चुनावी धांधली का आरोप लगाया और कहा कि स्थानीय प्रशासन, भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है, लेकिन इसे रोकने में चुनाव आयोग विफल रहा है। 
जाहिर है, गाजियाबाद में लोकतंत्र की हत्या हुई है, इसलिए फ्री एंड फेयर इलेक्शन पर सवाल उठना लाजिमी है। हमारे प्रशासनिक हुक्मरानों को यह सोचना चाहिए कि सियासी दांव-प्रतिदांव में उनके सहयोगियों के पार्टी बनने से क्या लोकतंत्र की भावना कलुषित नहीं होगी? क्या स्थायी कार्यपालिका के पीछे जो संवैधानिक उद्देश्य अंतर्निहित है, वह ऐसे माहौल में पूरा हो पाएगा। जवाब होगा, शायद नहीं!
 
अब उम्मीदवार की समझदारी इसी बात में है कि ऐसे चुनिंदे मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों से बहस करने के बजाय उन्हें कोर्ट में बेनकाब करके अपना हक पाया जाए। हालांकि, इसके लिए और अधिक पुख्ता सबूत जुटाने होंगे।