न्यायालय के साथ की धोखाधड़ी, आरोपी को मिली 12 साल की सजा

फर्जी ऋण पुस्तिका के माध्यम से अभियुक्तों की जमानत लेने का प्रयास करने वाले आरोपी को अदालत द्वारा 12 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी मोहन सिंह कुर्राम ने फर्जी ऋण पुस्तिका मामले में आरोपी को विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाते हुए यह फैसला गुरुवार को सुनाया है। इसके साथ ही आरोपी को 1200 रु. के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला दहेज प्रताडना के आरोपियों की जमानत लिए जाने से संबंधित है। भिलाई के फरीद नगर निवासी परवेज, मुन्नी तथा सन्नी उर्फ शबनम के खिलाफ पुलिस ने दहेज उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई कर आरोपियों की वर्ष 2012 में गिरफ्तारी की थी। आरोपियों की जमानत के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) शेख अशरफ की अदालत में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया था। आवेदन पर विचार के दौरान सीजेएम शेख अशरफ को ऋण पुस्तिका पर संदेह होने पर जांच कराई गई। जिसमें ऋण पुस्तिका का कूटरचित होना पाया गया। 10 अक्टूबर 2012 को मामले को नगर कोतवाली पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में दफा 420, 467, 468, 471 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर पडताल प्रारंभ की थी।
पुलिस ने ऋण पुस्तिका में कूट रचना कर स्वयं को उक्त जमीन का मालिक बताने के आरोप में चंदखुरी निवासी घनश्याम देवांगन को लगभग एक साल बाद 25 अक्टूबर 2013 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में विचारण पश्चात मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी मोहन सिंह कोर्राम ने आरोपी को दोषी पाया।
मामले में मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भविष्य में कोई न्यायालय जैसी संस्थाओं के साथ आपराधिख कृत्य करने का दुष्साहस न कर सकें, इसलिए अभियुक्त को दंडित किया जाना उचित होगा। उन्होंने अभियुक्त घनश्याम को न्यायालय के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में 420, 467, 468, 471 चारों धाराओं के तहत 3-3 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजा साथ साथ चलेगीं। इसके अलावा अभियुक्त को इन धाराओं में 300-300 रु. के अर्थदंड से भी दंडि़त किया गया है। अर्थदंड की राशि अदा न किए जाने पर अभियुक्त को प्रत्येक में 2-2 माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।