COCOMI ने मणिपुर शांति वार्ता को बताया “राजनीतिक दिखावा”, केंद्र सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

इम्फाल, 6 अप्रैल 2025। मणिपुर की इंफाल घाटी में सक्रिय प्रभावशाली सामाजिक संगठनों के संयुक्त मंच कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने कुकी-मैतेई समुदायों के बीच केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में आयोजित शांति वार्ता को सिरे से खारिज कर दिया है। समिति ने इसे एक “पूर्वनियोजित और दिखावटी प्रयास” करार देते हुए कहा कि यह गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा रचा गया “भ्रामक नैरेटिव” है।

COCOMI के संयोजक लाईखुरम जयेंता ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर संकट को केवल कुकी और मैतेई समुदायों के बीच का जातीय संघर्ष बताना, वास्तविक और गहरे कारणों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संकट वास्तव में एक “प्रॉक्सी वॉर” है, जिसे केंद्र सरकार 2005 से SoO (Suspension of Operations) समझौते के तहत छत्रछाया में पाले गए चिन-कुकी उग्रवादियों के जरिए चला रही है।

✋ “केंद्र पक्षपाती, मध्यस्थ नहीं”

COCOMI ने कहा कि उसने पहले भी MHA को स्पष्ट किया था कि मणिपुर की जनता केंद्र को इस संकट में एक निष्पक्ष मध्यस्थ नहीं, बल्कि एक सक्रिय पक्ष मानती है।
“जब तक इस बुनियादी सत्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा, तब तक कोई भी शांति प्रक्रिया केवल राजनीतिक औपचारिकता भर रह जाएगी,” जयेंता ने कहा।

🗣️ “शांति की आड़ में राजनीतिक भाषण का मंच”

COCOMI ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि हाल की बैठक केवल गृह मंत्री के संसद में भाषण के लिए ‘प्रगति का भ्रम’ रचने का साधन थी।
उन्होंने कहा कि इस संकट की शुरुआत मई 2023 में हुई थी, लेकिन केंद्र ने अब तक एक भी वास्तविक कदम समाधान की दिशा में नहीं उठाया
बल्कि वह जिम्मेदारी से बचता रहा, और गुप्त समर्थन के जरिए अलगाववादी ताकतों को प्रोत्साहन देता रहा है।

🔴 COCOMI की प्रमुख मांगें:

  1. राज्य में कानून-व्यवस्था की प्रभावी बहाली और नागरिकों की सुरक्षा।
  2. पहाड़ों में खुलेआम सक्रिय शत्रुतापूर्ण समूहों को निष्क्रिय किया जाए।
  3. SoO समझौते को तत्काल समाप्त किया जाए।
  4. विदेशी मूल के हथियारबंद घुसपैठियों को बाहर निकाला जाए।
  5. राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य महत्वपूर्ण सड़कों पर निर्बाध आवागमन सुनिश्चित किया जाए।
  6. म्यांमार से हो रहे अनियंत्रित घुसपैठ को स्वीकार किया जाए और उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

COCOMI ने कहा कि यदि इन बुनियादी मुद्दों को नजरअंदाज किया गया, तो कोई भी शांति प्रयास खोखला और असफल ही रहेगा।

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