छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक ग्रामीण के बकरा चोरी करने का आरोप बीजेपी समर्थित पूर्व सरपंच पर लगा है। मामले को और चौंकाने वाला तब बना जब वर्तमान सरपंच ने पीड़ित को न्याय देने की बजाय चोरी करने वाले का पक्ष लिया। हालांकि, पुलिस के हस्तक्षेप के बाद पीड़ित को न्याय मिला।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड के पीपरपान पंचायत की है। गांव के रहने वाले रामकेश्वर सिंह ने अपनी बकरियों को जब घर लाकर गिना, तो उसे पता चला कि एक बकरा गायब है। काफी खोजबीन के बाद उसे पता चला कि उसका बकरा पूर्व सरपंच मानिकचंद ने चुरा लिया और दूसरे के घर पर छिपा दिया।

जब रामकेश्वर ने पूर्व सरपंच से अपना बकरा वापस मांगा, तो वर्तमान सरपंच धर्मजीत ने उल्टा पीड़ित को ही धमकाया। रोजगार सहायक सचिव जमुनालाल ने भी अपने भाई पूर्व सरपंच का साथ देते हुए रामकेश्वर को धमकाया और पैसे देने से इनकार कर दिया।
पुलिस की दखल के बाद मिला न्याय
इस घटना से परेशान होकर रामकेश्वर ने पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया, जिसके बाद पीड़ित को न्याय मिला और उसे अपने बकरे की उचित कीमत प्राप्त हुई।
राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक लापरवाही?
यह मामला दर्शाता है कि गांवों में प्रशासनिक और राजनीतिक प्रभाव का गलत इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है। जहां एक ओर गांव के मुखिया को न्याय दिलाने का काम करना चाहिए, वहीं इस घटना में सत्ता का दुरुपयोग साफ नजर आया।
निष्कर्ष
इस तरह की घटनाएं ग्रामीण इलाकों में आम हो चली हैं, जहां प्रभावशाली लोग कमजोर और गरीब लोगों को डराने-धमकाने का काम करते हैं। हालांकि, इस मामले में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद न्याय मिला, लेकिन यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और न्याय व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है।
