अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में प्रस्तावित एल्युमिनियम प्लांट का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित प्लांट के लिए आबंटित भूमि का सीमांकन करने पहुंचे अफसरों को शनिवार को तीर-धनुष लिए ग्रामीणों ने घेर लिया। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ सामने देख अफसरों को होश उड़ गए। सूचना मिलते ही पुलिस फोर्स सहित कलेक्टर, एसपी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। विरोध कर रहे लोगों को अफसरों ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह मानने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके चलते प्रशासनिक अमले को बैरंग लौटना पड़ा।
प्रस्तावित मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट को आबंटित भूमि का सीमांकन शनिवार को किया जाना था। इसके लिए तीन एसडीएम, पांच तहसीलदार सहित बड़ी संख्या में आरआई और पटवारियों के साथ पुलिस बल की ड्यूटी लगाई थी। टीम वहां सीमांकन के लिए पहुंची थी, तभी चिरंगा सहित करदना, कालीपुर, मांजा व लैगू के ग्रामीण बड़ी संख्या में एकत्र हो गए। लाठी-डंडे और तीर-धुनष लिए इन ग्रामीणों ने सीमांकन का विरोध शुरू कर दिया। प्रशासन को हंगामे की आशंका पहले से थी। ऐसे में सूचना मिलते ही कलेक्टर कुंदन कुमार, एसपी भावना गुप्ता सहित पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई।
कलेक्टर और एसपी ने चर्चा कर मामला सुलझाने की कोशिश की, लेकिन आक्रोशित ग्रामीण नहीं मानें। उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि किसी भी हाल में एल्युमिनियम प्लांट नहीं खोलने देंगे। ग्रामीणों के आक्रोश और उग्र होने की आशंका को देखते हुए कलेक्टर ने सीमांकन को रोकने का निर्देश दिया। इसके बाद ग्रामीणों से उनका विरोध लिखित में लिया गया है। प्रशासनिक व पुलिस का अमला लौट गया, लेकिन सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण चिरंगा पहाड़ में डटे हुए हैं। सीमांकन एवं एलुमिना प्लांट का भूमिपूजन की आशंका को देखते हुए ग्रामीणों का दल लगातार मौके की निगरानी कर रहा है।
मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट के लिए चिरंगा में 850 एकड़ जमीन का आबंटन किया गया है। प्लांट का ग्रामीण लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। पर्यावरण की जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने अधिकारियों को बंधक बना लिया था। प्लांट के विरोध में ग्रामीण लगातार प्रदर्शन करते हुए एनएच में चक्काजाम सहित पैदल मार्च भी निकाल चुके हैं। माजा, चिरगा, करदना, लैगू व कालीपुर के ग्रामीण प्लांट के विरोध में हैं। प्लांट खोलने के लिए दूसरे गांव के लोगों को लाकर ्रसमर्थन दिखाने की कोशिश भी पूर्व में कई बार की जा चुकी है, लेकिन ये प्रयास धरातल पर निरर्थक साबित हो रहे हैं।
चिरंगा का क्षेत्र प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का गृहक्षेत्र है। ग्रामीणों में मंत्री अमरजीत भगत के खिलाफ भी आक्रोश है। दावा किया जाता रहा है कि इस प्लांट में कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं का इन्वेस्टमेंट है, इस कारण प्रशासन दबाव में है। वह हर हाल में एल्युमिनियम प्लांट को खुलवाने पर तुला हुआ है। इसका राजनैतिक नफा-नुकसान को देखते हुए दबाव के कारण प्रशासन फिलहाल ग्रामीणों पर बल प्रयोग नहीं कर पा रहा है।
बता दें मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम प्लांट में प्रतिवर्ष तीन लाख मीट्रिक टन एल्युमिनियम रिफायन किए जाने की क्षमता होगी। इसके साथ ही तीन कैप्टिव पावर प्लांट लगाए जाएंगे। इसमें तीनों की क्षमता 10 मेगावाट होगी। पावर प्लांट के लिए प्रतिवर्ष 0.75 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी घुनघुट्टा नाले से लिया जाएगा। तीनों पावर प्लांट और एल्युमिनियम प्लांट के कारण होने वाले प्रदूषण व नाले के पानी के उपयोग के कारण पानी की कमी की आशंका को लेकर ग्रामीण इस प्लांट के खिलाफ डटे हुए हैं।