वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को देश का आम बजट संसद में पेश करेंगी. इससे पहले विकास दर के मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए बुरी खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की तरफ से अनुमान जताया गया कि अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में कुछ नरमी आ सकती है. विकास दर गिरकर 6.1 फीसदी तक रह सकती है, जो 31 मार्च को खत्म होने जा रहे चालू वित्त वर्ष की 6.8 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले कम है.वृद्धि 6.1 फीसदी पर रहने का अनुमानआईएमएफ ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’जारी किया. इसमें कहा गया वैश्विक वृद्धि 2022 के 3.4 प्रतिशत से घटकर 2023 में 2.9 फीसदी पर आने का अनुमान है. हालांकि यह 2024 में बढ़कर 3.1 फीसदी पर पहुंच सकती है. मुद्रा कोष में अनुसंधान विभाग के निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा, ‘वृद्धि के हमारे अनुमान वास्तव में भारत के लिए तो अक्टूबर के परिदृश्य की तुलना में अपरिवर्तित हैं. चालू वित्त वर्ष के लिए 6.8 फीसदी की वृद्धि हासिल करने की बात थी और यह वित्त वर्ष मार्च तक चलेगा. इसके बाद अगले वित्त वर्ष के लिए इसमें कुछ नरमी आने और वृद्धि के 6.1 फीसदी पर रहने का अनुमान है.’2024 में फिर बढ़ने का अनुमानआईएमएफ के विश्व आर्थिक परिदृश्य को अपडेट करते हुए कहा गया, ‘भारत में वृद्धि 2022 की 6.8 फीसदी से कम होकर 2023 में 6.1 फीसदी रहने और प्रतिकूल बाहरी परिस्थितियों के बावजूद घरेलू मांग में जुझारुपन से इसके 2024 में फिर बढ़कर 6.8 फीसदी होने का अनुमान है.’ रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील एवं उभरते एशिया में वृद्धि 2023 और 2024 में बढ़कर क्रमश: 5.3 फीसदी और 5.2 फीसदी रह सकती है.चीन की अर्थव्यवस्था में कमजोरी की वजह से यह 2022 में कम होकर 4.3 फीसदी पर आ गई थी. गोरिंचेस ने कहा, ‘अगर हम चीन और भारत को एक साथ देखें तो 2023 में विश्व की वृद्धि में उनकी हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी होगी. यह एक उल्लेखनीय योगदान है.’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमारे अक्टूबर के पूर्वानुमान में भारत को लेकर हमारे जो सकारात्मक विचार थे, उनमें मोटे तौर पर अब भी कोई परिवर्तन नहीं आया है.’