रायपुर (छत्तीसगढ़)। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित भाजपा नेताओं और सांसदों द्वारा छत्तीसगढ़ में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) को अलोकतांत्रिक और तानाशाही बताए जाने पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस ने डॉ रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल में जारी 9 नोटिफिकेशन सार्वजनिक किया है। साथ कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रदेश की जनता में भ्रम फैलाने के लिए डॉ. रमन सिंह और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
रविवार शाम प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला और प्रवक्ता आरपी सिंह ने भाजपा की प्रेस वार्ता पर पलटवार किया। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुद्दाविहीन भारतीय जनता पार्टी अपने राजनैतिक वजूद को बचाने और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस सरकार की छवि खराब करने के लिये एक बार फिर से झूठ और गलत बयानी का सहारा ले रही है। राज्य में कानून व्यवस्था को बनाये रखने तथा राज्य के सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाये रखने के लिये राज्य सरकार समय समय पर विभिन्न उपाय करती है। इसके कानूनी शक्तियों का प्रयोग किया जाता है। तीन जनवरी को जारी अधिसूचना भी उसी का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, कांग्रेस के शासनकाल में इस कानून में कुछ नया संशोधन नहीं कर दिया गया है जिसे लेकर विपक्ष मुद्दा बना रहा है। ऐसे नोटिफिकेशन हर तीन महीने में जारी किये जाते रहे हैं। उसी क्रम में कांग्रेस शासनकाल में भी नोटिफिकेशन जारी हुआ है। राज्य सरकार ने तीन जनवरी 2023 को एक अधिसूचना प्रकाशित करवाया। इसमें कहा गया कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिक मेल मिलाप को संकट में डालने के लिये लोक व्यवस्था के बनाये रखने पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है तो उसके खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही की जायेगा। ठीक ऐसी ही अधिसूचना रमन सिंह सरकार के समय भी प्रकाशित कराया गया था।
छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह के तीसरे मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान 3 अक्टूबर 2015 से दिसंबर 2015, 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2016, 1 अप्रेल 2016 से 30 जून 2016, 1 जुलाई 2016 से 30 सितंबर 2016, 1 अक्टूबर 2016 से 31 दिसंबर 2016, 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2017, 1 अप्रेल 2017 से 30 जून 2017, 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017, 1 अक्टूबर 2017 से 31 दिसंबर 2017 की अवधि में रासुका लगाया गया था।
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा, जो कानून डॉ. रमन सिंह के समय लागू किया गया वह लोक कल्याणकारी था और कांग्रेस के समय लागू किया गया तो दमन कारी हो गया! उन्होंने कहा, रमन सिंह और दूसरे भाजपा नेता इस प्रकार झूठ बोलकर प्रदेश में विशेषकर आदिवासी समाज में भ्रम फैला रहे है। भाजपा के शासनकाल में 98% चर्च बने, धर्मातरण करवाया अब रासुका मामले में झूठ बोल रहे है। कांग्रेस नेताओं ने कहा, धर्मातंरण पर विवाद भाजपा की साजिश है। भाजपा डर रही है कि रासुका लगाने से उसके दंगा भड़काने के एजेंडे पर अवरोध लगेगा।
कांग्रेस नेताओं ने कहा, डॉ. रमन सिंह और अरुण साव को भ्रम फैलाने एवं झूठ बोलने के लिये प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए। क्या उस समय रमन सिंह ने यह कानून संघ के इशारे पर लागू किया था? सांप्रदायिकता विरोधी कानून किसी एक धर्म संप्रदाय, जाति के विरोध में नहीं है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी संप्रदाय का व्यक्ति यदि सांप्रदायिकता फैलाता है, दंगे जैसी समाज विरोधी गतिविधि में शामिल होता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी। भाजपा के विरोध से साफ हो रहा है कि इस कानून के इस्तेमाल से उसका सांप्रदायिकता फैलाने का नापाक षड़यंत्र बाधित होगा।