दुर्ग (छत्तीसगढ़)। आम तौर पर लोग अदालत या पुलिस के मामलों में नहीं पड़ना चाहते हैं, और इस बारे में उनके बीच डर है। अगर ऐसा होता है और वे बहुत डर जाते हैं और बहुत अधिक पैसा खर्च करते हैं। कभी-कभी वे उपेक्षा करते हैं भले ही यह उनके मूल अधिकारों के बारे में हो। जागरूकता पैदा करने के लिए एनएसएस बीआईटी दुर्ग द्वारा कानूनी सहायता पर एक सत्र आयोजित किया गया। जिसमें युवाओं को कानूनी अधिकारों की जानकारी देते हुए जागरूक किया गया।
एनएसएस बीआईटी दुर्ग के तत्वावधान में शुक्रवार को लीगल एड्स पर जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम लीगल एड्स दुर्ग जिला न्यायाधीश द्वारा संपादित किया गया था। कार्यक्रम का मूल उद्देश्य लोंगो को लीगल एड्स के बारे में जागरूक करना एवं युवाओं को सतर्क करना था। आज के विधिक साक्षरता शिविर में स्थानीय अदालती मजिस्ट्रेट ने युवाओं के साथ बातचीत कर उन्हें न्याय एवं न्याय के लिए खड़े होने के लिए जागरूकता बढ़ाई। करीब 1 घंटे चले इस सत्र में युवाओं को एफ.आई.आर के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि एफ.आई.आर कैसे किया जाता है एवं लिखित शिकायत का क्या महत्व है, यह बताया गया । जिसके बाद प्रश्न उत्तर सत्र हुआ जहां स्वयंसेवकों ने प्रश्न पूछे और सत्र के संबंध में संदेहों को दूर किया। सत्र बहुत संवादात्मक था और उन्हें लोगों के अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी । छात्रों ने कई ऐसे सवाल पूछे जिनका वे लोग हर रोज सामना करते हैं, और उसका कानूनी उपाय ।
यह कार्यक्रम में बीआईटी दुर्ग के डायरेक्टर डॉ अरुम अरोरा एवं प्रधानाचार्य एम् के गुप्ता के नेतृत्व में किया गया। कार्यक्रम एनएसएस की प्रोग्राम अफसर डॉ शबाना नाज़ सिद्दीकी एवं मुकेश चंद्राकर के मागदर्शन से संपूर्ण हुआ। सभी एनएसएस सदस्यों ने निस्वार्थ भाव से और अत्यधिक स्वेच्छा से इस अभियान में भाग लिया।