कार्यशाला : नारकोटिक्स मामलों की गहन विवेचना के महत्व और विधि के प्रावधानों की जिला सत्र न्यायाधीश ने दी जानकारी

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के निर्देशन पर नारकोटिक्स के मामलों मे विवेचना की महत्व एवं विधि के प्रावधानों की जानकारी प्रदान करने कार्यशाला का आयोजन किया गया। बताया गया कि दुर्ग शहर में नशे के प्रवृति लगातार बढ़ रही है तथा लोगों के द्वारा नशे का सेवन सार्वजनिक जगहों पर किया जा रहा है। जनमानस नशे के प्रवृति कर रहे व्यक्ति के द्वारा जनमानस के लिए परेशानी खड़ा कर रहे है। यह भी देखने में पाया जा रहा है कि नशे का व्यापार करने वाले वालो पर पुलिस प्रशासन से बिना डर/भय के व्यापार कर रहे है, लोगों में नशे से संबंधित जागरूकता की कमी है।

इस विषय पर आयोजित कार्यशाला में जिला न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में अन्वेषण के दौरान होने वाली त्रुटियों के संबंध में जानकारी दी। बताया गया कि किसी स्त्री की तलाशी, स्त्री से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं ली जाएगी। जब धारा 42 के अधीन सम्यक् रूप से प्राधिकृत किसी अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति को जिसकी तलाशी ली जानी है, उसके कब्जे में की किसी स्वापक ओषधि या मनःप्रभावी पदार्थ अथवा नियंत्रित पदार्थ या वस्तु या दस्तावेज को उस व्यक्ति से जिसकी तलाशी ली जानी है, अलग किए बिना निकटतम राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के पास ले जाना संभव नहीं है, तो वह ऐसे व्यक्ति को निकटतम राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के पास ले जाने की बजाय उस व्यक्ति की तलाशी ले सकेगा जैसा कि दंड प्रक्रिया संहिताए 1973 (1974 का 2) की धारा 100 में उपबंधित है। उपधारा (5) के अधीन तलाशी लिए जाने के पश्चात् उक्त अधिकारी ऐसे विश्वास के कारणों को लेखबद्ध करेगा, जिसकी वजह से ऐसी तलाशी की आवश्यकता पड़ी थी और उसकी एक प्रति अपने अव्यवहित वरिष्ठ पदधारी को बहत्तर घंटे के भीतर भेजेगा। (एनडीपीएस) एक्ट की धारा 50 के प्रावधानों का पालन केवल व्यक्तिगत तलाशी (संदिग्ध लोगों की तलाशी) के मामले में किया जाना आवश्यक है, लेकिन वाहन की तलाशी के मामले में धारा 50 के प्रावधानों का पालन करना आवश्यक नहीं है। धारा 41 एवं 42 के अंतर्गत अंतर बताया गया एवं बताया गया कि गलत अन्वेषण से आरोपी दोषमुक्त हो जाता है । गलत अन्वेषण दोषमुक्त का प्रथम आधार है ।
कार्यशाला में बी.एन.मीणा पुलिस अधीक्षक, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संतोष ठाकुर, ब्रज राज सिंग ड्रग इस्पेक्टर, बालमुकुंद चंद्राकर शासकीय अभिभाषक, सहित नारकोटिक्स प्रकरणों के विवेचना अधिकारी, थाना प्रभारी उपस्थित थे। कार्यशाला का मंच संचालन राहूल शर्मा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों एवं रिसोर्स पर्सन सहित 65 प्रतिभागी उपस्थित रहे।