नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के शुरुआत की हंगामेदार हुई है। राज्य सभा से 12 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गए हैं। मॉनसून सत्र में हंगामा करने के लिए सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है।
मॉनसून सत्र में हुए हंगामे का शीतकालीन सत्र में एक्शन हुआ है। हंगामा करने वाले 12 सासदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। इन सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है, जिसका मतलब हुआ कि ये सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे। जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के सांसद शामिल हैं। सांसदों को 11 अगस्त को राज्यसभा में हंगामा करने पर सस्पेंड किया गया है।
इन 12 सांसदों को किया गया निलंबित
एलामरम करीम (सीपीएम)
फूलो देवी नेताम (कांग्रेस)
छाया वर्मा (कांग्रेस)
रिपुन बोरा (कांग्रेस)
बिनय विश्वम (सीपीआई)
राजामणि पटेल (कांग्रेस)
डोला सेन (टीएमसी)
शांता छेत्री (टीएमसी)
सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस)
प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना)
अनिल देसाई (शिवसेना)
अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
जानिए क्या हुआ था 11 अगस्त को
11 अगस्त को इंश्योरेंस बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। संसद के अंदर खींचातानी भी होने लगी थी। मामले को शांत कराने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ गया था। उस दिन हुए हंगामे पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि ‘जो कुछ सदन में हुआ है, उसने लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया है।’
हंगामे के चलते दोनों ही सदन दो दिन पहले स्थगित कर दिए गए थे। लोकसभा में सिर्फ 21 प्रतिशत और राज्यसभा में 28 प्रतिशत ही काम हुआ था। सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए ये कहा था कि उन्हें ये धमकी दी गई थी कि ओबीसी बिल, इंश्योरेंस बिल या कोई और बिल भी पास कराने की कोशिश की गई तो अंजाम भुगतना होगा। राज्यसभा में हुए हंगामे पर केंद्र के 8 मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी और विपक्ष से माफी मांगने को कहा था।
वहीं, विपक्ष ने भी सरकार पर आरोप लगाते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को ज्ञापन सौंपा था। इसमें विपक्ष ने आरोप लगाया था कि जब इंश्योरेंस बिल पेश किया गया तो सदन में बाहरी सिक्योरिटी स्टाफ को बुलाया गया जो सुरक्षा विभाग के कर्मचारी नहीं थे। विपक्ष ने महिला सदस्यों के साथ बदसलूकी करने का आरोप भी लगाया था।

