झीरम घाटी जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने पर बवाल, रिपोर्ट में ऐसा क्या जिसे छिपाने का किया जा रहा प्रयास

रायपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी ने झीरम घाटी घटना की जांच रिपोर्ट प्रदेश की राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंपी है। जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं, कांग्रेस ने झीरम घाटी जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपना परंपराओं के खिलाफ बताया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा है कि झीरम घाटी की घटना के लिए जांच आयोग का गठन राज्य सरकार ने किया था, इसलिए रिपोर्ट भी राज्य सरकार को ही सौंपी जानी चाहिए। यही अब तक की मान्य परंपरा में होता आया है। जो जांच आयोग राज्य सरकार से समय बढ़ाने की मांग करती रही। 9 बिंदुओं की जांच में तय 3 माह के समय को राज्य सरकार से बढ़ाने की मांग करते हुए 8 साल लगा दिया गया। इसके बाद भी राज्य सरकार से समय बढ़ाने की मांग जांच आयोग करता रहा। फिर अचानक जांच रिपोर्ट कैसे सबमिट हो गई। पूर्ववर्ती सरकार में एनआईए जांच संदेह के दायरे में है, इसकी फिर से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम ने कहा कि विधानसभा में चर्चा से पहले रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती है। लेकिन ऐसा भी किया गया। मोहन मरकाम ने कहा कि इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी कांड देश का सबसे बड़ा राजनीतिक षडयंत्र था।
वहीं इस मामले में केस के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि धारा 3 के तहत जांच आयोग का गठन होता है। 28 मई 2013 को इसकी अधिसूचना जारी की गई थी। अधिसूचना में लिखा है आयोग जांच के बाद रिपोर्ट शासन को सौंपेगा। लेकिन रिपोर्ट राज्य शासन को न सौंपकर राज्यपाल को सौंपी गई है, जो परंपराओं को खिलाफ है। इसलिए राज्यपाल अविलंब मान्य परंपराओं का पालन करते हुए यह रिपोर्ट राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे ताकि राज्य सरकार इसे विधानसभा के पटल पर रख सके।