मायाराम सुरजन कन्या विद्यालय होगा प्रदेश का पहला स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल : भूपेश बघेल

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर राजधानी रायपुर के चौबे कॉलोनी स्थित मायाराम सुरजन शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की तर्ज पर सर्वसुविधा युक्त स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह स्कूल हिन्दी माध्यम का प्रदेश का प्रथम स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल होगा।

मुख्यमंत्री ने इस विद्यालय की छात्राओं को बापू की आत्मकथा ’सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ पुस्तक का वितरण कराने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों की मौलिक रचनाओं पर केन्द्रित और एससीईआरटी द्वारा प्रकाशित ’सेजेश रेन्बो’ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने गोदना कला, पारंपरिक खिलौना निर्माण सहित अन्य कार्यों में अपनी प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, कलेक्टर रायपुर श्री सौरभ कुमार भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में आजादी की लड़ाई के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों तथा महात्मा गांधी की
नवा-रायपुर में स्थापित होगा वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम
ग्राम-स्वराज की संकल्पना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जाएगी। नवा-रायपुर में लगभग 75 से 100 एकड़ भूमि पर विकसित होने वाले इस संस्थान में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर-ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि नयी पीढी को महात्मा गांधी के आदर्शाे और सिद्धांतों से परिचित कराने के लिए कक्षा 5वीं से 12वीं के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा को शामिल किया जाएगा। महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना और ग्रामीण जन-जीवन से परिचित कराने के लिए स्कूली बच्चों को गांवों का भ्रमण कराया जाएगा।
बता दें कि नवा रायपुर में स्थापित होने वाले सेवा ग्राम की प्रेरणा महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित सेवाग्राम से ली गई है। जिसकी स्थापना वर्ष 1936 में महात्मा गांधी और उनकी सहधर्मिणी कस्तूरबा गांधी के निवास के रूप की गई थी, ताकि वहां से मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया जा सके। वर्धा का यह संस्थान महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप ग्रामीण भारत के पुनर्निर्माण का केंद्र भी था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रायपुर में प्रस्तावित सेवाग्राम में गांधीवादी सिद्धांतों, ग्रामीण कला और शिल्प के केंद्र विकसित किए जाएंगे, जहां अतिथि विषय-विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा। साथ ही वहां वृद्धाश्रम तथा वंचितों के लिए स्कूल भी स्थापित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य पर्यटन के अवसरों को बढ़ावा देकर, छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को प्रोत्साहन देना, बुजुर्गों को दूसरा-घर उपलब्ध कराना और वैचारिक आदान-प्रादन के लिए छत्तीसगढ़ में एक विश्वस्तरीय व्यवस्था का निर्माण करके स्थानीय लोगों का सशक्तिकरण करना है। सेवा-ग्राम में प्रस्तावित ‘विजिटर्स सेंटर’ सीखने, निर्वाह करने और गांधी के सिद्धांतों का स्मरण करने का केंद्र होगा। श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी विशिष्ट कला और शिल्प के लिए जाना जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर, रायगढ़ और अन्य जिलों में बेल मेटल, लौह, टेराकोटा, पत्थर, कपड़े और बांस का उपयोग करके विभिन्न कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। सेवाग्राम एक ऐसा स्थान होगा जहां आगंतुक स्थानीय कला और शिल्प, स्थानीय व्यंजनों के बारे में जान सकेंगे। अपनी जानकारियों और अनुभवों को साझा कर सकेंगे। सेवा ग्राम में एक ओपन थियेटर भी होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब नयी पीढ़ी को महात्मा गांधी के आदर्शाे और सिद्धांतों से बच्चों को अवगत कराने और उनके सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा 5वीं से 12वीं के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा को शामिल किया जाएगा। स्कूली बच्चों को गांव का भ्रमण कराया जाएगा। जिससे वे गांधीजी के आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना को समझ सकें और ग्रामीण जन-जीवन से परिचित हो सकें। बच्चों को भ्रमण के दौरान महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। इससे स्कूली बच्चों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ जलसंरक्षण और मृदा संरक्षण जैसे विषयों पर जानकारी मिल सकेगी और आत्मनिर्भर ग्राम की कल्पना को वे समझ सकेंगे।