कोचिंग के नाम से निकली नाबालिग गर्लफ्रेंड को ले गया घुमाने, कोर्ट ने दी दो साल कारावास की सजा

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। घर से कोचिंग के लिए निकली नाबालिग गर्लफ्रेंड को घुमाने ले जाना एक युवक को काफी भारी पड़ा है। युवक को अदालत ने नाबालिग को उसके परिजनों की बिना अनुमति के साथ ले जाने के आरोप में दो वर्ष के कारावास से दंडित किया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में सुनाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।

घटना उतई थाना क्षेत्र की है। पाटन तहसील के एक ग्राम की 12वीं कक्षा की छात्रा कोचिंग के लिए 27 जुलाई 2018 की सवेरे उतई गई थी। जहां उसका पुरुष मित्र आरोपी चित्रांगद निर्मल (21 वर्ष) मिला और उसे मैत्री गार्डन घुमाने ले गया। जिसके बाद अपने चाचा-चाची के घर धमतरी ले गया। जहां रात रुकने के बाद दूसरे दिन गंगरेल डेम गए। इसी दौरान छात्रा के रात तक घर वापस नहीं आने पर परिजनों द्वारा 28 जुलाई 2018 को पुलिस को गुमशुदगी सूचना दी। जिस पर पुलिस ने अपराध कायम कर किशोरी की पतासाजी प्रारंभ की और 2 अगस्त 2018 को आरोपी चित्रांगद के कब्जें से बरामद किया। आरोपी के खिलाफ दफा 363 तथा पाक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
प्रकरण पर विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में किया गया। विचारण के दौरान छात्रा ने अदालत को बताया कि आरोपी उसे घुमाने के लिए ले गया था। इस दौरान किसी प्रकार की गलत हरकत आरोपी द्वारा नहीं किए जाने की जानकारी दी गई। जिसके आधार पर आरोपी चित्रांगद निर्मल (21 वर्ष) को पाक्सो एक्ट की धारा 11-12 से दोष मुक्त करार दिया, लेकिन छात्रा के नाबालिग होने पर उसके विधिपूर्ण संरक्षण की सहमति के बिना साथ ले जाने का दोषी करार दिया। इस मामले में आरोपी को दफा 363 के तहत दो वर्ष के कारावास तथा 3 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का फैसला विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी ने सुनाया है।