दुर्ग (छत्तीसगढ़)। दो साल का बोनस, प्रति एकड़ 20 क्विंटल और धान की सरकारी खरीदी 1 नवंबर से शुरू करने की मांग को लेकर भाजपा के प्रदेश व्यापी आंदोलन पर छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने सवाल उठाए है। मंच के नेताओं ने आरोप लगाया है कि 2014 में धान की सरकारी खरीदी की लिमिट को प्रति एकड़ 20 क्विंटल से घटाकर 10 क्विंटल करने का आदेश जारी भाजपा ने ही किया था। इसके अलावा किसानों का बोनस भी भाजपा शासन काल में बंद किए गए। भाजाप घडिय़ाली आंसू बहाकर किसानों को बरगलाने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष राजकुमार गुप्त ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह साधू का वेश धारण करके किसानों को एक बार फिर छलने की कोशिश कर रही है किंतु इस बार किसान उनके बहकावे में आने वाले नहीं है। उन्होने भाजपा के किसान विरोधी चाल चरित्र और चेहरा को अच्छी तरह पहचान लिया है। भाजपा सांसद द्वारा गांव गांव घूमकर किसानों को केंद्रीय कानून की अच्छाई बताने के लिए चौपाल आयोजित करने पर टिप्पणी करते हुए मंच के अध्यक्ष ने सांसद और कानून के समर्थकों को चुनौती देते हुए कहा है कि यदि कानून किसानों के लिए इतना ही लाभकारी है जैसा वे बखान कर रहे हैं तब उन्हें अपनी उपज का एक भी दाना राज्य के अंदर नहीं बेचना चाहिए और पूरी उपज राज्य के बाहर देश में कहीं भी अधिक दाम में बेचकर लाभ अर्जित करके किसानों के लिए रोल माडल बनना चाहिए। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग किया है कि इस साल धान की सरकारी खरीदी करने के पूर्व किसानों से घोषणा पत्र भराकर किसानों से पूछना चाहिए कि क्या वे अपनी उपज राज्य के बाहर बेचना चाहते हैं। ऐसी सहमति देने वाले किसानों का नाम और रकबा धान खरीदी के साफ्ट वेयर से तत्काल विलोपित कर देना चाहिए। यह एक प्रकार का जनमत संग्रह के समान होगा जिससे इस बात का पता चलेगा कि प्रदेश के कितने किसान केंद्र के कानूनों को लाभकारी मानते हैं।