नई दिल्ली। राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश को लेकर दर्ज की गई एफआईआर की तीन फाइलों को बंद कर दिया गया है। इस मामले की जांच कर रही राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने यह निर्णय करीब 28 दिन बाद लिया है। साथ ही एसओजी ने ये भी कहा है कि इस पूरे प्रकरण में कोई मामला ही नहीं बनता है। एसओजी के वकील संत कुमार ने कोर्ट से कहा है कि इस मामले में हम कोई कार्यवाही नहीं चाहते हैं।
इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार हुए आरोपी संजय जैन, भरत मालानी और अशोक सिंह को रिहा करने का आदेश दिया है। हालांकि संजय जैन अभी एंटी करप्शन ब्यूरो में 5 दिन की रिमांड पर हैं, इस वजह से वह फिलहाल बाहर नहीं आ पाएंगे।
बता दे कि अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश रचने और विधायकों की खरीद फरोख्त मामले की जांच राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) को सौंपी थी। एसओजी ने 10 जुलाई को मामला दर्ज किया था कि और दावा किया था एक तस्कर का मोबाइल सर्विलांस पर लेने के दौरान हमें राज्य सरकार गिराने की साजिशों का पता चला है।
एसओजी ने दावा किया था कि ब्यावर में रहने वाले भरत मालानी और उदयपुर के रहने वाले अशोक सिंह कई लोगों के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश में शामिल हैं। इसी मामले में एसओजी के इंस्पेक्टर के दर्ज कराए गए बयान के आधार पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नोटिस जारी किया था। यह मामला राजद्रोह की धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।
एसओजी के नोटिस के बाद ही सचिन पायलट नाराज हो गए और अपने समर्थक कुछ विधायकों के साथ जयपुर से निकल गए थे। यहीं से पूरा विवाद आगे बढ़ता चला गया। आखिरकार सचिन पायलट को पार्टी से बगावत करने के आरोप में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया साथ ही उपमुख्यमंत्री पद से भी बर्खास्त कर दिया गया था।