दुर्ग (छत्तीसगढ़)। बीते दिनों निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण से संबंधित मामले आए हैं। हास्पिटल में संक्रमण से रोकथाम के लिए सामान्य सावधानियां बरती जाएं तो इन स्थितियों पर काफी हद तक नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। यदि किसी प्राइवेट हास्पिटल से मरीजों के संक्रमित होने के मामले अनुपात से अधिक आते हैं तो पूरे हास्पिटल को सील करने की कार्रवाई की जाएगी। यह बातें आज कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने आईएमए के पदाधिकारियों एवं निजी हास्पिटल के प्रबंधकों की बैठक में कही। इस दौरान पीपीई किट के सही तरीके से इस्तेमाल के बारे में हास्पिटल परिसर में संक्रमण की रोकथाम को रोकने के लिए बरती जाने वाली सामान्य सावधानियों के संबंध में विशेषज्ञों ने अवगत कराया एवं इस संबंध में वीडियो फिल्म भी दिखाई।
संक्रमण को रोकने के उपायों की होगी मानिटरिंग
कलेक्टर ने कहा कि प्राइवेट हास्पिटलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम मानिटरिंग करेगी। यहां पर पीपीई किट की उपलब्धता एवं इनके उपयोग के विषय में तथा कोरोना संक्रमण के रोकथाम से संबंधित अन्य सावधानियों के क्रियान्वयन पर नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि जैसाकि सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य वायरस की तुलना में बहुत तेजी से होता है अतएव इसके लिए पूरी तरह से सावधानी बरतना आवश्यक हैं। पीपीई किट के इस्तेमाल के संबंध में वीडियो आपको दिखाए गए हैं। पूरे हेल्थ स्टाफ से इसका अनुपालन कराएं। पीपीई किट चेंज करने, मास्क उतारने एवं पूरे शरीर को सैनिटाइज करने प्रोटोकाल के मुताबिक हेल्थ स्टाफ काम करे। इस संबंध में थोड़ी भी चूक संक्रमण को तेजी से फैलाने का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि जिन प्राइवेट हास्पिटल में कोरोना पाजिटिव संक्रमण के मामले सामने आए हैं वहां हमने अभी प्रभावित क्षेत्र को सील किया है और इमरजेंसी सेवाएं आरंभ रखी हैं। किसी भी अस्पताल में यदि अनुपात से अधिक संक्रमण के मामले आते हैं तो फिर पूरे अस्पताल को सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
फीवर क्लीनिक होना चाहिए अलग
कलेक्टर ने कहा कि संक्रमण की रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका यह है कि संक्रमण को बाहर ही चिन्हांकित कर लिया जाए। अस्पतालों में फीवर क्लीनिक अलग-थलग हों तो यह बहुत अच्छा है ताकि लक्षण वाले मरीजों का चिन्हांकन यहीं पर कर लिया जाए। फीवर क्लीनिक जितने अस्पताल के भीतर होंगे, उतना ही संक्रमण के फैलने की आशंका रहेगी।