छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज आधारित उद्योगों की अपार संभावनाएं : मुख्यमंत्री बघेल

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उद्योगपतियों से कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में लघु वनोपज पर आधारित उद्योगों की अपार संभावनाएं है। वनोपज आधारित उद्योगों से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं इसका लाभ उद्योगों को भी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बहुत सी बहुमूल्य औषधि और लघु वनोपज है, जिनका वेल्यू एडिशन कर देश भर में फैले बाजार का लाभ उठाया जा सकता है। बघेल आज अपने निवास कार्यालय में उरला इंडिस्ट्रीज एशोसिएशन के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनोपज आधारित उद्योगों के लिए उद्योगपति उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी कीमत के संबंध में स्व-सहायता समूहों और संबंधित जिला कलेक्टरों से बातचीत कर उन्हें अपनी आवश्यकता के बारे में बता सकते हैं। इस आधार पर समूह उत्पाद उद्यमी को उपलब्ध कराएंगे। मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा कि उद्योगों के संचालन का अनुभव, पूंजी और दक्ष लोगों की टीम आपके साथ है। इसका उपयोग वन क्षेत्रों में उद्योग लगाने पर भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन उत्पाद के वेल्यू एडिशन और ब्रांडिंग करने से देश भर में फैले बाजार का लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के बस्तर और सरगुजा अंचल के जंगलों में बहुमूल्य लघु वनोपजों का भण्डार है। महिला स्व सहायता समूहों और वन समितियों के माध्यम से लघु वनोपज संग्रहण किया जा रहा है। महिला समूहों को संग्रहण के अलावा प्रसंस्करण कार्यों से भी जोड़ा गया है। यदि उद्योगपति लघु वनोपज जैसे शहद, इमली, चिरौंजी, तिखुर, आवला, हर्रा, बहेरा आदि पर आधारित उद्योग लगाते है और इसकी ब्रांडिंग करते है तो पूरे देश भर के बाजार का लाभ उठाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 44 प्रतिशत हिस्सा वनाच्छादित है। जहां कई प्रकार की बहुमूल्य वनौषधी पायी जाती है। इसके अलावा कई प्रकार के लघु वनोपज संग्रहित किए जाते है। छत्तीसगढ़ में लगभग 1200 करोड़ रूपए के लघुवनोपज का कारोबार होता है। यदि उद्योग इन वस्तुओं का वेल्यू एडिशन और ब्रांडिंग करते है तो उनकी कीमत बढ़ेगी। इससे वनों को बचाने के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी साथ ही उद्योगों को भी इसका भरपूर लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति में वन आधारित उद्योगों को प्राथमिकता एवं कई प्रकार की रियायत की सुविधा दी जा रही है। उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य में भरपूर विद्युत, सस्ता श्रम और पर्याप्त पानी भी उपलब्ध हैं। इसका लाभ स्थानीय उद्योगपतियों को लेना चाहिए।