नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025। भारत की समुद्री शक्ति को नया पंख लगने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन फाइटर जेट की डील को मंजूरी दे दी है। यह 63,000 करोड़ रुपये से अधिक की सरकार-से-सरकार (G2G) डील है और आने वाले हफ्तों में इसे औपचारिक रूप देने की तैयारी है।
🛫 भारत को मिलेंगे 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर विमान
सूत्रों के अनुसार, भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर राफेल मरीन और 4 ट्विन-सीटर वेरिएंट्स मिलेंगे। इसके साथ ही फ्लीट मेंटेनेंस, लॉजिस्टिक सपोर्ट, नौसैनिकों की ट्रेनिंग और स्वदेशी निर्माण के लिए ऑफसेट व्यवस्था भी शामिल है।

⚓ INS विक्रांत और विक्रमादित्य पर तैनाती
राफेल मरीन, लड़ाई में आजमाए जा चुके राफेल का एयरक्राफ्ट कैरियर आधारित संस्करण है। ये अत्याधुनिक फाइटर जेट INS विक्रमादित्य और स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। ये विमान पुराने हो चुके MiG-29K बेड़े की जगह लेंगे और नौसेना की वायु शक्ति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे।
🛠️ विशेष क्षमताओं से लैस राफेल मरीन
राफेल मरीन को STOBAR (Short Take-Off But Arrested Recovery) तकनीक के हिसाब से तैयार किया गया है, जिसमें मजबूत लैंडिंग गियर, अरेस्टर हुक और सशक्त एयरफ्रेम होते हैं, ताकि समुद्री वाहक जहाजों से उड़ान भरने और उतरने में कोई दिक्कत न हो।
🕓 2029 से शुरू होगी डिलीवरी
सूत्रों का कहना है कि राफेल मरीन की डिलीवरी 2029 के अंत तक शुरू हो जाएगी और 2031 तक पूरा बेड़ा भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
⚓ स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से भी बढ़ेगी ताकत
राफेल मरीन डील के साथ-साथ भारत ने प्रोजेक्ट-75 के तहत तीन और स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के निर्माण को भी मंजूरी दी है। इन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और फ्रांस की नेवल ग्रुप के साथ मिलकर बनाया जाएगा।
📌 निष्कर्ष:
यह ऐतिहासिक रक्षा सौदा न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को अभूतपूर्व मजबूती देगा, बल्कि देश की स्वदेशी निर्माण क्षमताओं और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगा। आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना, आधुनिकता की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है।
