रायपुर, 10 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा 2024 को आदेश आने तक स्थगित कर दिया है। यह परीक्षा 18 मई 2025 को आयोजित की जानी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका के चलते इस पर रोक लगाई गई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने विनीता यादव द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। विनीता यादव एक कानून स्नातक हैं और फिलहाल पूर्णकालिक सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। उनके अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नियमों के तहत वे वकील के रूप में नामांकित नहीं हो सकतीं, जो इस परीक्षा में बैठने के लिए जरूरी शर्त है।

क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ अधीनस्थ न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2006 में संशोधन किया था, जिसके तहत सिविल जज परीक्षा में बैठने के लिए अभ्यर्थी का अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत नामांकित होना अनिवार्य कर दिया गया। इसके अनुसार, CGPSC द्वारा दिसंबर 2024 में निकाली गई विज्ञप्ति में भी यह शर्त रखी गई।
याचिका में इस संशोधन को चुनौती देते हुए कहा गया कि इससे ऐसे अभ्यर्थी वंचित हो जाएंगे जो कानून की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं लेकिन किसी कारणवश वकील के रूप में नामांकित नहीं हो पाए हैं, विशेष रूप से वे जो सरकारी सेवा में हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन
राज्य के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) ने कोर्ट को अवगत कराया कि कर्नाटक और गुजरात हाईकोर्ट ने भी ऐसी ही याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपने-अपने राज्यों में इस परीक्षा प्रक्रिया पर रोक लगाई है और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।
इस आधार पर, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी CGPSC को निर्देश दिया है कि वह अगले आदेश तक परीक्षा प्रक्रिया आगे न बढ़ाए।
पहले दी गई थी अस्थायी राहत
इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत उन अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन भरने की अनुमति दी थी जो अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत नामांकित नहीं थे। यह राहत सिर्फ अंतिम निर्णय आने तक दी गई थी।
अब इस रोक के बाद राज्यभर में सिविल जज बनने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।
